Saudi Arabia Reforms: दुनिया के तमाम देशों में जब महिला अधिकारों की बात हो रही है और महिलाएं इनके लिए खुलकर संघर्ष कर रही हैं, इसी बीच सऊदी अरब लगातार अपनी इमेज बदलने का काम कर रहा है. सऊदी अरब में पिछले कुछ सालों में महिलाओं को लेकर कई ऐसे फैसले लिए गए हैं, जिनसे ये बात साबित होती है. कुछ दिनों पहले सऊदी अरब सरकार ने हज या उमरा करने वाली महिलाओं को बिना महरम यानी गार्जियन के हज पर आने की छूट का एलान कर दिया. सरकार ने कहा कि महिलाओं को सऊदी अरब में कोई भी खतरा नहीं है, इसी को देखते हुए ये फैसला लिया गया. 


बिना महरम (पुरुष गार्जियन) हज के अलावा सऊदी अरब ने महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई तरह के बड़े बदलाव किए हैं. प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को इस तरह के बड़े और बोल्ड फैसले लेने के लिए सराहा जा रहा है. ये युवा शहजादा अपने क्रांतिकारी फैसलों को लेकर हमेशा चर्चा में रहा है. हम आपको सऊदी सरकार की तरफ से लिए गए कुछ ऐसे ही फैसलों के बारे में बता रहे हैं. 


महरम के साथ हज की अनिवार्यता खत्म
सबसे पहले बात ताजा मामले की करते हैं. कुछ दिन पहले सऊदी अरब के हज मंत्री तौफीक बिन फौजान अल-राबिया ने ये एलान किया कि सऊदी अरब में महिलाओं के लिए महरम की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. इस फैसले के बाद सरकार से जुड़े तमाम लोगों ने सोशल मीडिया और बाकी जगहों पर ये बयान दिए कि महिलाओं के लिए सऊदी में सुरक्षा व्यवस्था काफी अच्छी हो चुकी है. महिलाओं को उनके देश में किसी भी तरह का खतरा नहीं है. बता दें कि सऊदी अरब में लाखों की संख्या में लोग हज के लिए जाते हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या भी काफी ज्यादा होती है. 


महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस 
सऊदी अरब ने लैंगिग समानता को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला तब लिया जब महिलाओं को पहली बार ड्राइविंग का लाइसेंस जारी किया गया. जून 2018 में सऊदी में महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस मिलने की शुरुआत हुई. दुनियाभर में इसे एक बड़े फैसले के तौर पर देखा गया. इस अधिकार को पाने के लिए कई सालों तक यहां संघर्ष भी चलता रहा. सऊदी दुनिया का अकेला ऐसा देश था जहां महिलाओं को गाड़ी चलाने की इजाजत नहीं थी. महिलाओं को कार ड्राइव करने की इजाजत नहीं होने के चलते कई बार सजा देने के मामले भी सामने आए. सऊदी सरकार के इस फैसले का देश की महिलाओं ने स्वागत किया और जमकर जश्न मनाया. 


सऊदी अरब में सिनेमा हॉल
सऊदी अरब में कुछ दशकों तक ऐसे कानून और नियम कायदे बनाए गए, जिसकी दुनियाभर में चर्चा हुई. इसमें सिनेमा पर बैन लगाना भी एक था, लेकिन जब सऊदी अरब में सिनेमाघर खुलने लगे तो इस बदलाव ने सभी को हैरान कर दिया. यहां साल 2017 तक एक म्यूजियम में बने छोटे सिनेमाघर में ही तमाम तरह की डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाती थी. बाकी तमाम सिनेमाघरों पर पाबंदी थी. सऊदी अरब में अब सैकड़ों नई स्क्रीन खुल चुकी हैं और सिनेमा के लिए तमाम तरह के नए दरवाजे खोलने की तैयारी चल रही है. सऊदी सरकार के इस फैसले को इकॉनोमी और युवाओं को लुभाने के लिहाज से देखा गया. ये भी सऊदी में हुए बड़े बदलावों में से एक था, जिसने बदलते देश की तस्वीर दुनिया के सामने रखी. 
 
महिलाओं को पहली बार मतदान का अधिकार
सऊदी अरब ने महिलाओं को लेकर एक बड़ा फैसला 2015 में लिया था, जब महिलाओं ने यहां पहली बार किसी भी तरह की वोटिंग में हिस्सा लिया. पहली बार निकाय चुनावों में महिलाओं ने सऊदी अरब में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. हालांकि 2011 में ही तत्कालीन किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुलअजीज अल-सउद ने महिलाओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने का एलान कर दिया था, लेकिन फैसला करीब 4 साल तक अटका रहा. 2015 के इस फैसले के साथ ही पूरे सऊदी में रहने वाली महिलाओं की एक और बेड़ी टूटने का काम हुआ. 


नियोम (NEOM) सिटी प्रोजेक्ट की शुरुआत
सऊदी अरब को तेल के व्यापार के लिए जाना जाता है. तेल अब तक सऊदी की इकॉनोमी में सबसे बड़ा फैक्टर है. लेकिन तमाम रिपोर्ट्स में बताया गया है कि आने वाले कुछ सालों में ऐसा नहीं रह जाएगा. यही वजह है कि सऊदी अब अपनी इकॉनमी को शिफ्ट करने की कोशिशों में जुटा है. प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इसके लिए प्रोजेक्ट नियोम की शुरुआत की है. जिसका मकसद सऊदी अरब को 2030 तक ऑयल डिपेंडेंट इकॉनमी से शिफ्ट करना है. 2017 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई. इस प्रोजेक्ट के तहत एक पूरी तरह मॉर्डन सिटी भी तैयार की जा रही है. जो 170 किमी लंबी होगी. टूरिज्म को लेकर इसे काफी अहम माना जा रहा है, दावा है कि इससे हर साल 1 करोड़ से ज्यादा टूरिस्ट यहां आएंगे.


इसके अलावा 2001 में पहली बार महिलाओं को पहचान पत्र देने का फैसला और जबरन शादी जैसे कुप्रथा को खत्म करना भी सऊदी अरब में हो रहे बड़े बदलावों का हिस्सा थे. अब चाहे इसे इकॉनमी से जोड़कर देखें या फिर आधुनिकता के लिहाज से... कुल मिलाकर सऊदी अरब की तस्वीर हर लिहाज से काफी हद तक बदलती दिख रही है. 


ये भी पढ़ें - चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के फिर से सत्ता में आने से कैसे चीन कमजोर होगा? जानिए