US-Saudi Arabia Relation: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के 'विजन 2030' पर एक बार फिर धब्बा लग गया है. सऊदी अरब के दिरियाह शहर में धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाली अमेरिकी एंजेंसी के सदस्य से यहूदी टोपी उतारने के लिए कहा गया. इस घटना को USCIRF ने निंदनीय बताया है, साथ अमेरिका और सऊदी अरब के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया. 


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाले आयोग यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (USCIRF) के एक सदस्य अब्राहम कूपर सऊदी अरब की राजधानी रियाद के करीब दिरियाह शहर का दौरा करने गए थे. इस दौरान अब्राहम कूपर को सिर पर रखने वाली यहूदी टोपी 'किप्पा' को उतारने के लिए कहा गया, जिसपर यूएससीआईआरएफ ने एतराज जताया है. दिरियाह एक ऐतिहासिक शहर है, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है.  


'विजन 2030' की बीच हुई घटना
दरअसल, सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने साल 2016 में 'विजन 2030' लांच किया था. इस विजन का उद्देश्य इस्लामिक कट्टरता के रूप में पहचाने वाले देश सऊदी की छवि को सुधारना है. इसी विजन के तहत सऊदी के प्रिंस लगातार देश के कानूनों में परिवर्तन कर रहे हैं. देश से धीरे-धीरे शरिया कानून के प्रभाव को कम किया जा रहा है. हाल ही में सऊदी के प्रिंस ने मस्जिदों में इफ्तार पार्टी करने पर रोक लगाई थी. इसके अलावा सऊदी में महिलाओं को कार ड्राइविंग की भी इजाजत दी गई है. इसे  'विजन 2030' के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा था.


सऊदी के साथ संबंध ठीक करने में लगा था अमेरिका
अमेरिका ने कहा कि हाल के दिनों में सऊदी ने धार्मिक कट्टरता के खिलाफ कई कदम उठाए हैं, लेकिन इस तरह से धार्मिक टोपी उतारने के लिए कहना उचित नहीं था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायल-हमास युद्ध के बाद सऊदी और अमेरिका के संबंधों में दरार आ गई थी. अमेरिका लगातार सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों को ठीक करने में लगा था, लेकिन इस घटना के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच खटास आ गई है.  


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