Saudi-UAE Relation: एक-दूसरे से भिड़े दो मुस्लिम देश, सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने यूएई के राष्ट्रपति को दी थी 'खुली धमकी'
Saudi-UAE: सऊदी अरब ने 2017 में अबू धाबी और बहरीन के समर्थन से कतर पर तीन साल से अधिक समय तक आर्थिक नाकेबंदी कर राजनयिक प्रतिबंध लगाया था. सऊदी अरब और कतर के बीच संबंध 2021 में ही बहाल हुए थे.
Saudi-UAE Relation: सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed bin Salman) ने पिछले साल पत्रकारों के साथ एक निजी बातचीत में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ये धमकी बिन सलमान और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच बढ़ती दरार के बीच आई थी. इस तरह की चीजें दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय नीतियों और ओपेक सीमाओं पर मतभेदों को दर्शाती है.
क्राउन प्रिंस ने पिछले साल दिसंबर में ऑफ-द-रिकॉर्ड ब्रीफिंग में पत्रकारों को बताया कि उन्होंने अबू धाबी को मांगों की एक सूची भेजी थी. उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर यूएई ने राज्य में कटौती जारी रखी तो सऊदी अरब अपने क्षेत्रीय सहयोगी के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाएगा. बैठक में शामिल हुए लोगों ने उनके हवाले से कहा, "मैंने कतर के साथ जो किया, यह उससे भी बदतर होगा."
सऊदी ने 2017 में कतर पर लगाया बैन
सऊदी ने 2017 में अबू धाबी और बहरीन के समर्थन से कतर पर तीन साल से अधिक समय तक आर्थिक नाकेबंदी कर राजनयिक प्रतिबंध लगाया था. सऊदी अरब और कतर के बीच संबंध 2021 में ही बहाल हुए थे. वॉल स्ट्रीट जर्नल के सूत्रों के अनुसार खाड़ी क्षेत्र में प्रभुत्व के लिए क्राउन प्रिंस और बिन जायद के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा है और उन्होंने छह महीने से अधिक समय तक बात नहीं की है. मोहम्मद बिन सलमान ने सऊदी पत्रकारों से कहा था कि यूएई ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है. उन्होंने चेतावनी दी कि वे देखेंगे कि मैं क्या कर सकता हूं.
अमेरिका की भागीदारी कम हो गई है
यूएई और सऊदी के बीच ये दरार मिडिल ईस्ट और वैश्विक तेल बाजारों में भू-राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव के व्यापक प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है. आज के वक्त में इस क्षेत्र में अमेरिका की भागीदारी कम हो गई है और इसकी वजह से दोनों देश रूस और चीन तक पहुंच बनाने में भी लगे हुए हैं. इस बात को लेकर अमेरिकी अधिकारियों के बीच चिंता बढ़ गई है.
उन्हें डर है कि खाड़ी प्रतिद्वंद्विता ईरान के खिलाफ यूनिफाइड सिक्योरिटी सिस्टम एस्टेब्लिश करने, यमन में युद्ध को हल करने और मुस्लिम देशों के साथ इजरायल के राजनयिक संबंधों का विस्तार करने की कोशिशों में बाधा पैदा कर सकती है.