टोरंटो: सऊदी अरब से अपने परिवार को छोड़कर भागने वाली रहाफ मोहम्मद अल कुनुन कनाडा पहुंच गई हैं. वहां पहुंचकर सबसे बड़ा बयान देते हुए उन्होंने कहा है कि उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें नई ज़िंदगी मिल गई. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उनका प्लान शिक्षा हासिल करके कनाडा में नौकरी करने और 'सामान्य जीवन बिताने' का है. वो ऐसा इसलिए कह रही हैं क्योंकि उन्होंने सऊदी से भागकर थाईलैंड पहुंचने के बाद अपने परिवार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे जिससे साफ था कि वहां उनकी ज़िंदगी सामान्य नहीं थी.
रहाफ ने कहा कि वो सऊदी अरब के अपने घर में ये सब नहीं कर सकती थीं, जिसकी वजह से वो डरकर भाग गईं. रहाफ ने बैंकॉक से टोरंटो पहुंचने के दो दिन बाद कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन को बताया कि कनाडा आकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है.
उन्होंने कहा, "मैंने जो रिस्क लिया वो यहां आकर सफल हुआ." जबरन शादी से बचने के लिए परिवार से भागने और निर्वासन से बचने के लिए बैंकॉक हवाई अड्डे पर होटल के कमरे से निकलने से मना करने वाली रहाफ को संयुक्त राष्ट्र ने शरणार्थी का दर्जा दिया था.
सऊदी अरब से अपने परिवार को छोड़कर भागने वाली रहाफ मोहम्मद अल कुनुन कनाडा पहुंच गई हैं. वहां पहुंचकर उनका कहना है कि वो ऐसा महसूस कर रही है जैसे उन्हें नया जन्म मिला हो.
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्रालय को संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी समिति यूएनएचसीआर ने शरणार्थी के तौर पर उनके पुनर्वास के लिए उनका मामला ट्रांसफर कर दिया था. रहाफ मोहम्मद अल-कुनून (18) ने कहा था कि उन्हें डर है कि अगर उन्हें वापस सऊदी जाने के लिए मजबूर किया गया तो उसके रिश्तेदार उन्हें मार डालेंगे क्योंकि उन्होंने इस्लाम त्याग दिया है.
वो शनिवार को कुवैत से उनसे बचकर बैंकॉक की उड़ान में बैठकर आ गई. उसका मकसद यहां से ऑस्ट्रेलिया जाकर शरणार्थी की याचिका डालने का था. लेकिन ऑस्ट्रेलिया से पहले कनाडा ने उन्हें शरणार्थी का दर्जा देकर अपना लिया. रहफ को बैंकॉक के एयरपोर्ट से एयरपोर्ट अधिकारियों ने डिपोर्ट करने की कोशिश की थी. लेकिन उन्होंने अपनी आपबीती को लाइव ट्वीट किया जिससे वो वापस सऊदी भेजे जाने से बच गईं.
यूएनएचसीआरसी का जोर इस बात पर रहा है कि शरण की मांग करने वाले किसी भी व्यक्ति को उस देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिए जहां से वो भागा है. बैंकॉक में अपने दूतावास के बाहर मीडिया को बांटी गई एक छोटी सी प्रेस विज्ञप्ति में सऊदी सरकार ने कहा था कि उन्होंने रहफ के निर्वासन की मांग नहीं की है, क्योंकि ये एक 'पारिवारिक मसला' है, लेकिन इसके ऊपर दूतावास की 'नज़र' बनी हुई है.
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