नई दिल्ली: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई एक बार फिर सुर्खियों में हैं लेकिन इस बार वे मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत को लेकर नहीं बल्कि दिल्ली के दंगों को लेकर दिए गए बयान के कारण चर्चाओं में आ गए हैं.
दिल्ली की हिंसा पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बड़ा बयान दिया है. जिसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है. कौन हैं अयातुल्ला अली खामेनेई और क्या है इनका भारत कनेक्शन आइए जानते हैं.
अयातुल्ला अली खामेनेई ईरान के सर्वोच्च नेता माने जाते हैं. अयातुल्ला अली खामेनेई का यूपी के बाराबंकी से खास नाता है. उनके दादा सैय्यद अहमद मसूवी यहीं के रहने वाले थे. 1830 में अयातुल्लाह खामेनेई के दादा उस समय के अवध के नवाब के साथ ईरान और इराक की यात्रा पर गए थे. सैय्यद अहमद मसूवी को ईरान का खामेनेई गांव इतना पसंद आया कि वे वहीं बस गए और फिर भारत नहीं लौटे. इसके बाद उनकी पीढ़ी में खामेनेई नाम को सरनेम तरह लगाने लगे. धीरे धीरे इस पीढ़ी के लोग ईरान के सबसे शक्तिशाली लोगों में गिने जाने लगें.
भारत से जुड़े होने के कारण अयातुल्ला अली खामेनेई पर भारतीय एजेंट होने के भी आरोप लगाए गए. ये वे दौर था जब ईरान में राजा मोहम्मद रजा शाह पहलवी की हुकूमत थी. अयातुल्ला अली खामेनेई की बढ़ती ताकत को अमेरिका भी पसंद नहीं करता है. अमेरिका ईरान में अपनी पसंद की सरकार बनाना चाहता है लेकिन ये अयातुल्ला अली खामेनेई के चलते इतना आसान नहीं है. 1963 में ईरान में जब श्वेत क्रांति का एलान हुआ तो इसका बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया.
इस विरोध का नेतृत्व खामेनेई कर रहे थे. जिससे वहां का राजा नाराज हो गया और उसने 1964 में खामेनेई को देश निकाला दे दिया. जिसके बाद अयातुल्ला अली खामेनेई फ्रांस चले गए. लेकिन उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई. कहते है कि ईरान में उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता है. इसकी वजह ये है कि बदलते ईरान की दिशा और दशा दोनों ही अयातुल्ला अली खामेनेई के हाथ में मानी जाती हैं.