Water on Mars: मंगल ग्रह पर है पानी का बड़ा भंडार, नए शोध में वैज्ञानिकों को ऐसा क्या पता चला जिसकी चर्चा है
Water on Mars: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी मार्स एक्सप्रेस ने मंगल ग्रह पर भारी मात्रा में पानी होने का पता लगाया है. 2007 में हुए शोध में भी पानी का पता चला था, लेकिन इस शोध के मुताबिक अधिक पानी है.
Water on Mars: मंगल ग्रह पर पानी की मौजदूगी और जीवन संभव करने के प्रयास में वैज्ञानिक लगातार जुटे हुए हैं. मंगल पर पानी को लेकर अलग-अलग रिपोर्ट आती रही हैं लेकिन जो नया अध्ययन सामने आया है, वो वैज्ञानिकों के लिए कई रास्ते खोल सकता है. इस खोज से पता चलता है कि इस क्षेत्र में मंगल के भूमध्य रेखा के पास बर्फ का सबसे बड़ा भंडार है.
2007 में मार्स एक्सप्रेस द्वारा पहली बार मेडुसे फॉसेफॉर्मेशन (MFF) की जांच करने के करीब 16 साल बाद वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यान के उन्नत मार्सिस रडार के साथ इस क्षेत्र का दोबारा दौरा किया. 2007 और हालिया शोध दोनों को स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के वैज्ञानिक थॉमस वॉटर्स ने लीड किया है. उन्होंने बताया कि उनकी खोज के नए नतीजों के अनुसार मंगल पर जमा पानी शुरुआती अनुमान से काफी अधिक है. ये सतह से 3.7 किलोमीटर नीचे तक फैला हुआ है.
पृथ्वी के लाल सागर जितना पानी होने का अनुमान- वैज्ञानिक
हाल में हुए शोध के अनुसार मंगल की सतह के नीचे बड़े स्तर पर बर्फ जमा है. अगर ये बर्फ पिघली तो मंगल ग्रह की सतह 1.5 से 2.7 मीटर गहरे पानी में डूब सकती है. यह मंगल के मेडुसे फॉसेफॉर्मेशन क्षेत्र में खोजे गए सबसे बड़े जल का भंडार हो सकता है, जिसमें पृथ्वी के लाल सागर की मात्रा के बराबर पानी है.
इस अध्ययन को मंगल पर अब तक की सबसे महत्वपूर्ण जल खोज के रूप में देखा जा रहा है. मंगल पर एमएफएफ की विशेषता, इसकी हवा के आकार की चोटियां और टीले हैं, जो सैकड़ों किलोमीटर तक फैले हुए हैं और कई किलोमीटर ऊंचे हैं. मंगल ग्रह के ऊंचे और तराई क्षेत्रों के बीच की सीमा पर भारी मात्रा में धूल है.
मंगल ग्रह के सतह में बर्फ होने दावा- शोध
इटली के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिक एंड्रिया सिचेट्टी का कहना है कि अगर एमएफएफ महज धूल का ढेर होता तो यह बहुत अधिक सघन होता. हमारे मॉडल दिखाते हैं कि केवल बर्फ की उपस्थिति ही इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है.
एंड्रिया सिचेट्टी ने कहा कि नए विश्लेषण से पता चलता है कि एमएफएफ में धूल और बर्फ की परतें होती हैं, जो सूखी धूल या राख की मोटी परत से ढकी होती हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह के भूमध्यरेखीय बर्फ जमाव काफी पुराने हो सकते हैं.
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