New Moon 2023 FW13: वैज्ञानिकों ने खोजा धरती का नया चंद्रमा, पृथ्वी के साथ सूर्य का लगा रहा चक्कर
New Moon 2023 FW13: वैज्ञानिकों ने एक ऐसे एस्टेरॉयड का पता लगाया है, जो सूर्य के साथ पृथ्वी का भी चक्कर लगा रहा है. वैज्ञानिकों ने इसे अर्ध-चंद्रमा कहा है.
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New Moon 2023 FW13: हमारे सौरमंडल को लेकर आए दिन नए-नए शोध आते रहते हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक नए क्षुद्रग्रह (Asteroid) का पता लगाया है, जो पृथ्वी के साथ ही सूर्य का समान गति से चक्कर लगा रहा है. इस क्षुद्रग्रह को 2023 FW13 नाम दिया गया है. वैज्ञानिकों ने इस एस्टरॉड के अर्ध-चंद्रमा या अर्ध उपग्रह कहा है, क्योंकि यह एस्टेरॉयड पृथ्वी के समान समय सीमा में सूर्य का चक्कर लगा रहा है. फिलहाल, वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस क्षुद्रग्रह पर पृथ्वी के गुरत्वाकर्षण का तनाव पड़ रहा है. 15 मीटर व्यास का यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से करीब 1.4 करोड़ किलोमीटर दूरी पर मौजूद है.
वैज्ञानिकों ने दूरबीन की मदद से 28 मार्च 2023 को पहली बार इस चंद्रमा को देखा था. दूरबीन को हवाई द्वीप पर एक निष्क्रिय ज्वालामुखी के ऊपर रखा गया था. कनाडा और फ्रांस की हवाई दूरबीन के अलावा एरिजोना में दो ऑब्जर्वेटरी ने भी इस एस्टेरॉयड के होने के बारे में पुष्टि की है. 1 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ में माइनर प्लैनेट सेंटर ने इस ग्रह को सूचीबद्ध किया. हमारे सौरमंडल में मिलने वाले सभी ग्रहों और वस्तुओं को सूचीबद्ध करने की जिम्मेदारी इसी संगठन पर है.
एस्टेरॉयड पृथ्वी की गति से सूर्य का लगा रहा चक्कर
2023 FW13 के बारे में अधिक जानकारी के लिए खगोलशास्त्री एड्रियन कॉफिनेट ने इसके मार्ग की मैपिंग किया, जिसके लिए एक कक्षा सिम्युलेटर का उपयोग किया गया. इस सिम्युलेटर को खगोलशास्त्री टोनी डन ने विकसित किया था. इस शोध में पता चला कि यह एस्टेरॉड पृथ्वी की गति में ही सूर्य की परिक्रमा कर रहा है. हालांकि यह ग्रह पृथ्वी का भी चक्कर लगा रहा है, ऐसे में कॉफिनेट ने इसे अर्द्ध-चंद्रमा के रूप में नामित किया है. वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह एस्टेरॉयड कम से कम 100 ईसा पूर्व से पृथ्वी के साथ चक्कर लगा रहा है.
पृथ्वी के करीब मंडरा रहा एस्टेरॉयड
वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह क्षुद्रग्रह भले ही सूर्य के साथ पृथ्वी का भी अपनी कक्षा में चक्कर लगा रहा है, लेकिन इसकी पृथ्वी से टकराने के संभावना नहीं है. फिलहाल, वैज्ञानिकों ने माना है कि यह पृथ्वी के काफी करीब मंडरा रहा है और यह पृथ्वी का अब तक ज्ञात सबसे लंबा अर्द्ध उपग्रह है.
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