Sealand: फुटबॉल के मैदान से छोटा देश, जानें कौन है दुनिया की सबसे छोटी कंट्री?
Sealand: पैडी रॉय बेट्स ने साल 1967 में सीलैंड पर कब्जा कर लिया था. उन्होंने पाइरेट रेडियो चैनलों से इसका दावा किया और इसे एक संप्रभु देश घोषित किया
Sealand Smallest Country: दुनिया का सबसे छोटा देश वेटिकन सिटी नहीं है, बल्कि उत्तरी सागर में स्थित यह छोटा समुद्र के बीचोबीच स्टेज है, जिसे सीलैंड (Sealand) के नाम से जाना जाता है. जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह चारों ओर से समुद्र से घिरी हुई जमीन है. वेटिकन सिटी (Vatican City) हालांकि सबसे छोटा देश है, जिसे इंटरनेशनल लेवल पर मान्यता प्राप्त है. दूसरी ओर सीलैंड को मान्यता नहीं प्राप्त है. किसी को यह जानकर हैरानी हो सकती है कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां कोविड 19 का एक भी मामला नहीं आया था.
दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान अंग्रेजों की ओर से सीलैंड का निर्माण किया गया था. इसका इस्तेमाल सेना और नौसेना के किले के रूप में किया जाता था. यह ब्रिटेन के वाटर बॉर्डर के बाहर स्थित था, इसलिए वॉर खत्म होने के बाद इसे ध्वस्त किया जाना था, लेकिन किसी तरह यह नष्ट नहीं हुआ. ये फुटबॉल के मैदान से भी बहुत छोटा है, मात्र 4000 वर्ग मीटर का है. इसके प्लेटफॉर्म को रफ टॉवर के रूप में जाना जाता है.
दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान बना
दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान 1943 में एचएम फोर्ट रफ्स का निर्माण यूके सरकार की ओर से अपने मौनसेल फ़ोर्ट्स के रूप में किया गया था. इन्हें मुख्य रूप से आसपास के मोहल्लों में महत्वपूर्ण शिपिंग लेन के खिलाफ बचाव के रूप में किया गया. यह जर्मन माइन-लेइंग एयरक्राफ्ट के खिलाफ भी उपयोगी था. इन मौनसेल किलों को 1956 में सेवामुक्त कर दिया गया था.
सीलैंड का मालिक कौन है?
पैडी रॉय बेट्स ने साल 1967 में सीलैंड पर कब्जा कर लिया था. उन्होंने पाइरेट रेडियो चैनलों से इसका दावा किया और इसे एक संप्रभु देश घोषित किया. हालांकि, पिछले 54 सालों से यह यूनाइटेड किंगडम सरकार के अंडर काम कर रहा है. सीलैंड की रियासत हालांकि एक विवादित छोटा नेशन है.
ब्रिटिश कामगारों ने 1968 में अपनी नौवहन बोया की सेवा के लिए सीलैंड की रियासत में प्रवेश करने का प्रयास किया. बेट्स ने चेतावनी स्वरूप कुछ गोलियां चलाकर उन्हें डराने की कोशिश की. उसे यूके के एक कोर्ट ने तलब किया. उन्हें दंडित नहीं किया गया क्योंकि उनका किया गया अपराध देश के जल क्षेत्र की 3 समुद्री मील की सीमा के बाहर था और इस प्रकार मामला आगे नहीं बढ़ सका.
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