पाकिस्तान में सत्ता संभालते ही शहबाज शरीफ ने सबसे पहला तोहफा अपने बड़े भाई नवाज शरीफ को दिया है. दरअसल शहबाज ने सत्ता पर काबीज होते ही नवाज शरीफ की पाकिस्तान वापसी का रास्ता साफ कर दिया है. ऐसा लग रहा है कि अपने वतन से हजारों किलोमीटर दूर लंदन में बैठे नवाज शरीफ के अच्छे दिन आ गए हैं. 


पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनते ही उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ ने जो पहला अहम फैसला किया है उसमें पूर्व पीएम नवाज शरीफ को तत्काल डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया है. नवाज शरीफ का पासपोर्ट पिछले साल 16 फरवरी को रद्द कर दिया गया था. 


अब वो डिप्लोमेटिक पासपोर्ट पर ईद के बाद पाकिस्तान वापस लौट सकते हैं. वहीं नवाज शरीफ के साथ ही उनके करीबी पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री इशाक डार को भी पासपोर्ट जारी होगा लेकिन उन्हें डिप्लोमेटिक नहीं बल्कि नॉर्मल पासपोर्ट जारी किया जाएगा.


शहबाज शरीफ ने अपने बड़े भाई नवाज शरीफ के लिए लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायुक्त से डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जारी करने को कहा है. हालांकि कोर्ट से तय हुई सजा की वजह से नवाज को लंदन से लौटते ही सीधे जेल जाना होगा.


2019 से लंदन में हैं नवाज शरीफ


बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ दोषी करार दिए जाने के बाद साल 2019 से ही इलाज के लिए लंदन में हैं. वहीं भाई नवाज शरीफ से पहले इमरान खान सरकार भी नवाज को वापस पाकिस्तान लाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन ब्रिटेन की सरकार से इसकी इजाजत नहीं मिल पाई थी.


कौन हैं शहबाज शरीफ


शहबाज शरीफ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई हैं. सोमवार को दिन में पाकिस्तान की संसद ने शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री चुना. उनके पक्ष में 174 वोट पड़े. वहीं इस दौरान इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के सांसद मौजूद नहीं थे. पीटीआई ने पूरी प्रक्रिया का बहिष्कार किया.


मुल्क के 22वें प्रधानमंत्री खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाया गया और वह पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं. इमरान खान ने 18 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. उनका 10 अप्रैल 2022 तक 1,332 दिनों का कार्यकाल रहा. इमरान खान तीन साल सात महीने और 23 दिन तक प्रधानमंत्री पद पर रहे.


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