शहबाज शरीफ: पंजाब प्रांत के सीएम से पाकिस्तान के पीएम तक का सफर ऐसे किया तय
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तीन बार के पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ के छोटे भाई हैं. शहबाज मुल्क के सबसे ज्यादा आबादी वाले और राजनीतिक रूप से अहम पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं.
शहबाज शरीफ पाकिस्तन के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं. संसद में सोमवार को बहुमत परीक्षण के लिए मतदान हुआ जिसमें उन्हें 174 वोट मिले. उनके प्रधानमंत्री के साथ ही उम्मीद की जा सकती है कि पाकिस्तान में पिछले कई दिनों से जारी सियासी तूफान भी थम जाएगा.
इससे पहले रविवार तड़के संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में एक अविश्वास प्रस्ताव के जरिये इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया. तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के 70 वर्षीय छोटे भाई शहबाज़ मुल्क के सबसे ज्यादा आबादी वाले और राजनीतिक रूप से अहम पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं. एक नजर डालते हैं शहबाज के सियासी सफर पर:-
शहबाज का सियाजी सफर
- सितंबर 1951 में लाहौर में पंजाबी भाषी कश्मीरी परिवार में जन्में शहबाज़ ने 1980 के दशक के मध्य में अपने बड़े भाई नवाज़ के साथ राजनीति में प्रवेश किया.
- वह पहली बार 1988 में पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए जब नवाज़ पंजाब के मुख्यमंत्री बने.
- शहबाज़ पहली बार 1997 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने जब उनके भाई केंद्र में प्रधानमंत्री थे.
- साल 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर नवाज़ शरीफ को बर्खास्त कर दिया था.
- शहबाज़ इसके बाद अपने परिवार के साथ आठ साल तक सऊदी अरब में निर्वासन में रहे और 2007 में वतन लौटे.
- वह 2008 में दूसरी और 2013 में तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने.
- शहबाज़ ने दावा किया है कि जनरल मुशर्रफ ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की पेशकश की थी और शर्त रखी थी कि वह अपने बड़े भाई नवाज़ को छोड़ दें, लेकिन उन्होंने इसके लिए साफ इनकार कर दिया था.
- पनामा पेपर्स मामले में 2017 में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को पद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद, पीएमएल-एन ने शहबाज़ को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया.
- 2018 के चुनावों के बाद शहबाज नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता बने.
- सितंबर 2020 में, शहबाज़ को भ्रष्टाचार विरोधी निकाय– राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने धन शोधन और स्रोत से अधिक आय के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. ये आरोप इमरान खान की सरकार ने उनपर लगाए थे.
- शहबाज़ ने आरोपों से इनकार किया और वह कई महीनों तक जेल में रहे. बाद में उन्हें जमानत मिली.
- फिलहाल वह ब्रिटेन में पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) द्वारा उनके खिलाफ लाए गए 14 अरब पाकिस्तानी रुपये के धन शोधन के मामले का सामना कर रहे हैं. वह इस मामले में भी जमानत पर हैं.
शहबाज का परिवार
- शहबाज़ ने पांच शादियां कीं. फिलहाल उनकी दो पत्नियां हैं – नुसरत और तहमीना दुर्रानी – जबकि उन्होंने तीन अन्य – आलिया हानी, नीलोफर खोजा और कुलसुम को तलाक दे दिया. नुसरत से उनके दो बेटे और तीन बेटियां और आलिया से एक बेटी है.
- शहबाज के बड़े बेटे हमज़ा शहबाज़ पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. हमज़ा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ गठबंधन के उम्मीदवार परवेज इलाही के खिलाफ मुख्यमंत्री पद का चुनाव भी लड़ रहे हैं.
- उनका छोटा बेटा सुलेमान शहबाज़ परिवार का कारोबार देखता है. वह धन शोधन और स्रोत से अधिक आय के मामले में फरार है और पिछले कुछ साल ब्रिटेन में है.
कश्मीर के अनंतनाग से जुड़ी हैं शरीफ परिवार की जड़ें
शहबाज़ के पिता मुहम्मद शरीफ एक उद्योगपति थे, जो कारोबार के लिए कश्मीर के अनंतनाग से आए थे और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में पंजाब के अमृतसर जिले के जट्टी उमरा गांव में बस गए थे. उनकी मां का परिवार पुलवामा से आया था.
विभाजन के बाद, शहबाज़ का परिवार अमृतसर से लाहौर चला गया जहां उन्होंने (लाहौर के बाहरी इलाके में रायविंड में स्थित)अपने घर का नाम ‘जट्टी उमरा’ रखा. उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी से स्नातक की.
नवाज मरियम को पीएम बनाना चाहते थे
हालांकि कहा जाता है कि नवाज़ शरीफ चाहते हैं कि उनकी बेटी मरियम प्रधानमंत्री बने, लेकिन उन्हें एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया गया है. इसलिए नवाज़ के पास शहबाज़ को अपनी पार्टी से शीर्ष कार्यकारी पद के लिए नामित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.
जब तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को 2017 में शीर्ष अदालत ने बर्खास्त कर दिया था तो उन्होंने प्रधानमंत्री पद के शेष 10 महीने के कार्यकाल के लिए अपने छोटे भाई शहबाज़ के बजाय पार्टी के नेता शाहिद खाकान अब्बासी को तरजीह दी थी.
शहबाज के हैं फौज से अच्छे संबंध
विशेषज्ञों के मुताबिक, शहबाज़ के ताकतवर फौज के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में आधे से अधिक वक्त तक मुल्क पर फौज ने हुकूमत की है और सेना अब भी सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में अपना काफी प्रभाव रखती है.
यह भी पढ़ें:
Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में सियासी उथल पुथल के बीच आया तालिबान का बयान, कही ये बड़ी बात