Sheikh Hasina in India: लगातार 15 साल तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना का कुछ मिनटों के अंदर ही ऐसा तख्तापलट हुआ कि उन्हें जान बचाकर भागना पड़ा. देश से भागने के लिए उन्हें महज 45 मिनट का समय मिला, जिसमें वो भागकर भारत आ गईं. लेकिन सवाल है कि आखिर भारत ही क्यों? नेपाल जा सकती थीं. भूटान जा सकती थीं. और नहीं तो पाकिस्तान जा सकती थीं. ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, रूस या दुनिया के और भी दूसरे देशों में जा सकती थीं. लेकिन वो भागीं तो भागकर भारत ही आईं. तो सवाल है कि क्यों. चलिए आज इसका जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.


भारत का पड़ोसी बांग्लादेश एक इस्लामिक मुल्क है. 80 फीसदी से ज्यादा आबादी इस्लाम को ही मानने वाली है. हालांकि अपने गठन के वक्त बांग्लादेश एक सेक्युलर देश था और 1986 तक ये सेक्युलर ही बना रहा. बांग्लादेश के फौजी तानाशाह जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद ने संविधान बदलकर बांग्लादेश को इस्लामिक देश घोषित कर दिया. साप्ताहिक छु्ट्टी रविवार को होती थी, तो उसे बदलकर जुमे के दिन यानी कि शुक्रवार को कर दिया. इसके अलावा जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद की तानाशाही के दौरान कई ऐसे बड़े बदलाव हुए, जिसकी वजह से बांग्लादेश एक कट्टर इस्लामिक देश बन गया.


मुस्लिम देशों में क्यों नहीं गईं शेख हसीना?
हालांकि, पहले खालिदा जिया और फिर शेख हसीना ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली लेकिन वो कभी देश के धर्म के स्वरूप को नहीं बदल सकीं. ऐसे में कट्टर इस्लामिक देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का जब तख्तापलट हुआ तो उन्होंने दुनिया के और 200 देशों को नहीं देखा. न तो दूसरे 56 इस्लामिक मुल्कों की ओर देखा. जान बचाकर भागीं तो भारत में आ गईं. इसकी दो सबसे बड़ी वजहें हैं. पहली वजह तो भारत का सेक्युलर ताना-बाना है, जिसकी हिमायती शेख हसीना भी रही हैं और उनके तख्तापलट की सबसे बड़ी वजहों में से एक वजह ये भी है. क्योंकि शेख हसीना के इसी सेक्युलरिज्म के खिलाफ जमात-ए-इस्लामी ने माहौल बनाया और फिर बांग्लादेश की सेना ने उसे अच्छे से भुनाया. नतीजा ये हुआ कि शेख हसीना की जान पर बन आई और अब बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ जो ज्यादती हो रही है, वो किसी से छिपी नहीं है.


भारत और बांग्लादेश के संबंध
बाकी शेख हसीना के भागकर भारत आने की दूसरी सबसे बड़ी वजह उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान के वक्त से ही बांग्लादेश और भारत के ताल्लुकात रहे हैं. वो भारत ही है, जिसने अपनी सेना को बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी की मदद के लिए भेजा और फिर भारत-पाकिस्तान की जंग में पाकिस्तान को तोड़कर नया बांग्लादेश बनाया. वो भारत ही है, जिसने शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद शेख हसीना को अपने यहां शरण दी, जिसकी वजह से शेख हसीना की जान बच पाई. तब शेख हसीना और उनकी बहन रिहाना की जान इसलिए बच पाई थी, क्योंकि दोनों बहने बांग्लादेश में न होकर जर्मनी में थीं. 


पहले भी भारत में रह चुकी हैं शेख हसीना
भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जर्मनी में भारत के राजदूत हुमायूं राशिद चौधरी को हसीना के पास भेजा. हुमायूं राशिद चौधरी ने हसीना से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बात भी करवाई और तब एयर इंडिया की स्पेशल फ्लाइट से 25 अगस्त, 1975 को शेख हसीना दिल्ली के एक सेफ हाउस में पहुंचीं. बांग्लादेश में किसी को पता न चले, इसके लिए उनका नाम बदला गया. शेख हसीना मिस मजमूदार बन गईं और पंडारा पार्क के सी ब्लॉक स्थित तीन कमरों के एक मकान में रहने लगीं, जिसकी सुरक्षा भारत की एजेंसियां कर रहीं थीं. तब शेख हसीना करीब 6 साल तक भारत में रहीं थीं.


भारत ने शेख हसीना का दिया साथ
साल 2009 में भी जब शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश राइफल्स ने विद्रोह कर तख्तापलट करने की कोशिश की थी, तो भारत ने शेख हसीना की मदद कर उनकी सत्ता को बनाए रखा था. लेकिन अब 2024 में जब भारत को भी ये लग गया कि किसी भी तरह से शेख हसीना को बांग्लादेश में रहते हुए बचाया नहीं जा सकता है तो तख्तापलट के तुरंत बाद भारत ने खुद शेख हसीना को अपने यहां आने का न्यौता दिया और मजबूर शेख हसीना भागकर भारत आ गईं, जहां भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने शेख हसीना से मुलाकात की.


शेख हसीना के राजनीतिक शरण पर ब्रिटेन चुप
अब शेख हसीना भारत में हैं. न कपड़े लेकर आई हैं और न जरूरत का सामान. तो ये सब खरीदारी भी वो भारत में ही कर रही हैं. लेकिन सवाल है कि कब तक? क्या शेख हसीना स्थाई तौर पर भारत में ही रह जाएंगी या फिर जब तक बांग्लादेश में शेख हसीना के मनमाफिक परिस्थितियां नहीं बनती हैं, तब तक उन्हें भारत में ही रहना होगा. इसका सही-सही कोई जवाब अब तक नहीं मिल पाया है, क्योंकि दुनिया का कोई भी देश फिलवक्त शेख हसीना को शरण देने को राजी नहीं है. ब्रिटेन ने चुप्पी साध रखी है, अमेरिका ने अपना दरवाजा ही बंद कर दिया है, फिनलैंड कह रहा है कि उसे कोई जानकारी ही नहीं है. रही बात रूस की, तो अभी रूस खुद ही कई मोर्चों पर घिरा हुआ है. ऐसे में वो शेख हसीना को शरण देने पर क्या रुख अपनाता है, ये साफ नहीं है. बाकी यूएई और सऊदी अरब जाने पर भी शेख हसीना विचार कर सकती हैं, लेकिन अभी उन दोनों देशों की तरफ से कोई पहल हुई नहीं है.


अभी भारत में ही रहेंगी शेख हसीना
कुल मिलाकर शेख हसीना अभी भारत में ही हैं और अगले कुछ वक्त तक उन्हें भारत में ही रहना है. लेकिन ये वक्त कितना लंबा है तय नहीं है. हालांकि जिस तरह की तैयारियां भारत सरकार की हैं और जिस तरह से शेख हसीना के लिए अलग सेफ हाउस की तलाश हो रही है ताकि एनएसजी शेख हसीना की सुरक्षा कर सके, इससे इतना तो तय है कि अभी शेख हसीना भारत से बाहर कहीं नहीं जा रही हैं. 


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