Sheikh Hasina Statement : बांग्लादेश में पिछले तीन महीनों से हिंसा की घटनाएं हो रहीं हैं. पांच अगस्त को देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में स्थिति भयावह हो गई है. सत्ता गिरने के बाद से शेख हसीना ने भारत में शरण ली हुई है. उन्होंने बांग्लादेश में हिंदूओं पर हो रहे हमलों और देश को छोड़ने को लेकर बड़ा बयान दिया है.
कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम को वर्चुअली किया संबोधित
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अमेरिका के न्यूयॉर्क में अवामी लीग के कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं देश में खूनखराबा नहीं चाहती थी. अगर मैं सत्ता में बनी रहती और इस्तीफा नहीं सौंपती तो देश में नरसंहार हो जाता. जब देश में लोगों को मारा जा रहा था, तब मैंने देश को छोड़ने का फैसला कर लिया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे सत्ता और शासन की जरूरत नहीं है. गणभवन में हथियारबंद लोग घूस आए थे. मेरे पिता और राष्ट्रपिता बंगबंधु की तरह ही मेरी हत्या की भी योजना बनाई गई थी. मैंने अपने सिक्योरिटी को आदेश दिया था कि वो गोली न चलाएं, क्योंकि अगर फायरिंग होती तो गणभवन में बहुत सारे लोगों की मौत हो जाती, मैं ये नहीं चाहती थी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आज देश में शिक्षक, पुलिस, नेता सभी पर हमले किए जा रहे हैं. हिंदू, बौद्ध, ईसाइयों समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं. 11 चर्च और कई हिंदू मंदिरों पर भी हमले किए गए. इस्कॉन पर हमला किया गया, इस्कॉन के नेता को गिरफ्तार कर लिया गया.’ अब सवाल ये है कि बांग्लादेश मे अल्पसंख्यकों पर हमले क्यों किए जा रहे हैं?
हिंदूओं पर हमले के जिम्मेदार हैं मोहम्मद यूनुस
शेख हसीना ने बांग्लादेस में अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से हिंदूओं पर अत्याचार, हमले और उनकी हत्या के लिए मोहम्मद यूनुस को मास्टरमाइंड बताया है. उन्होंने कहा, ‘मैं आज देश में मास किलिंग की आरोपी हूं, पर वास्तविकता में मोहम्मद यूनुस एक निश्चित योजना के तहत सामूहिक नरसंहार में शामिल हैं. वही इसके मास्टरमाइंड है.’
वहीं, खालिदा जिया के बेटे और बीएनपी नेता तारिक रहमान ने लंदन में कहा था कि अगर बांग्लादेश में इसी तरह मौतें होतीं रहीं तो सरकार नहीं चलेगी.
इस्कॉन नेता चिन्मय दास की गिरफ्तारी से भड़की हिंसा
बांग्लादेश के चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के पूर्व अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के गिरफ्तार होने के बाद से स्थिति बिगड़ती जा रही है. उनकी गिरफ्तारी के विरोध में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर गए. इसी दौरान उन पर BNP और जमात के लोगों ने हमला कर दिया था, जिसमें 50 से अधिक हिंदू घायल हो गए थे.