Bangladesh Unrest: बांग्लादेश पूरी दुनिया की सुर्खियों का हिस्सा बना हुआ है. बीते दिन यानी 5 अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने संसद पर कब्जा कर लिया. 1 जुलाई को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों की वजह से लगभग 300 से ज्यादा लोगों की जान गई. मौतों का यह आंकड़ा 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद से बांग्लादेश में मरने वालों की यह सबसे बड़ी संख्या है.
22 जुलाई को बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम खत्म करने का आदेश जारी किया जिसके बाद विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल गया. आखिरकार सड़क पर उतरने वाले छात्रों का फोकस प्रदर्शन और कोटा से हटकर शेख हसीना की इस्तीफा पर चला गया.
छात्रों का क्या है पक्ष?
बांग्लादेश में आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना मानना है कि बीते महीने जितने छात्रों की प्रदर्शन के दौरान मौत हुई है वह सरकार के अत्याचारी रवैये की वजह से हुई है, इसलिए वह शेख हसीना को सत्ता से हटाने के लिए अड़े रहे. बता दें रविवार, 4 अगस्त को हुए हिंसा में करीब 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
5 अगस्त को आखिर हुआ क्या?
5 अगस्त को ढाका में ‘स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट’ने ‘ढाका मार्च’का आह्वान किया. इसमें शहर के अलग-अलग संस्थानों के लोगों बड़ी संख्या में जुटे और प्रधानमंत्री आवास की ओर बढ़ चले. लोगों की ये भीड़ सेंट्रल शहीद मीनार के आसपास इकट्ठा हुई. पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद इस भीड़ पर काबू नहीं पाया जा सका.
- तमाम पुलिसिया बंदोबस्त के बावजूद आम लोग भी घरों से बाहर निकले
- ढाका मार्च को रोकने के लिए हजारों की संख्या में छात्रों, आम लोग और विपक्ष के नेताओं को हिरासत में ले लिया गया.
- पुलिस ने लोगों पर आसूं गैस के गोले छोड़े
- दोपहर को 12 बजे पुलिस की गोलीबारी में 6 लोगों की मौत हो गई, जानकारी के मुताबिक इसमें नाबालिग बच्चे भी शामिल थे.
- इसके बाद ढाका के शाहबाग में फिर से एक बार पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई.
- इन हालातों के बीच भी सड़कों पर लोगों की संख्या कम नहीं हुई बल्कि हजारों से लाखों लोग सड़क पर उतर आए
- दोपहर करीब 2.30 बजे प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, वह अपनी बहन रेहाना के साथ भारतीय शहर अगरतल्ला आ गईं.
- दोपहर 3.15 बजे सेना प्रमुख वाकेर उज्जमां ने देश को बताया कि शेख हसीना से इस्तीफा दे दिया है.
- संबोधन में सेना प्रमुख ने लोगों से कहा कि देश को सही तरीके से चलाया जाएगा और 24 घंटों के भीतर अंतरिम सरकार को घोषणा कर दी जाएगी
- शाम 6 बजे तक शेख हसीना दिल्ली पहुंच गई.
- दिल्ली पहुंच कर शेख हसीना ने भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाकात की
अंतरिम सरकार में किसे देखना चाहते हैं बांग्लादेशी छात्र?
‘स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट के नेता नाहिद इस्लाम ने एक फेसबुक वीडियो पोस्ट में गठित होने वाली अंतरिम सरकार में मुख्य सलाहकार के रूप में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस का नाम प्रस्तावित किया है. नाहिद इस्लाम ने कहा है, "हमने मुहम्मद यूनुस से इस अहम जिम्मेदारी को लेकर बातचीत की है और वह इसे स्वीकार करने के लिए सहमत हैं."
कौन हैं मोहम्मद यूनुस?
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के प्रमुख अर्थशास्त्री हैं. वे नोबेल पुरस्कार विजेता हैं. उन्होंने बांग्लादेश में किसानों को समृद्ध बनाने के लिए ग्रामीण बैंक की स्थापना की और माइक्रो लोन की शुरुआत की थी. शेख हसीना सरकार हमेशा मोहम्मद यूनुस के खिलाफ रही है और उनपर आरोप लगाती रही है. यूनुस पर 'गरीबों का खून चूसने' का आरोप लगाती रही हैं. मोहम्मद यूनुस बांग्लादेशी सिविल सोसाइटी के नेता भी हैं और बांग्लादेश में तेजी से बदले हालातों के बाद उन्हें सेना का समर्थन भी हासिल है.
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