Shinzo Abe Death News: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Japan Ex PM Shinzo Abe) अब दुनिया में नहीं रहे. आज जापान के नारा शहर में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान एक हमलावर ने उन्हें गोली मार दी. गोली लगने के तुरंत बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों टीम ने घंटों उनकी जान बचाने की कोशिश की लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.


शिंजो आबे पर हुए हमले और उनके निधन से दुनिया का हर देश स्तब्ध है. भारत (India) ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. इसके साथ ही भारत में उनके सम्मान में एक दिन का राष्ट्रीय शोक (National Mourning) घोषित किया गया है. आज शिंजों आबे के निधन के बाद हर कोई इस नेता के जीवन के बारे में जानना चाहता है. शिंजो आबे सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहे. वे जापान के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थे. आइए जानते हैं उनके संघर्ष की कहानी...


संघर्ष के दम पर हासिल किया ये मुकाम


शिंजों आबे का जन्म जापान के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में हुआ था. सियासत उन्हें विरासत में मिली थी. उनके पिता ने जापान के विदेश मंत्री के रूप में अपनी सेवा की. इसके उनके नाना जापान के पूर्व प्रधानमंत्री नोबुसुके किशी थे. सियासी रसूख के बावजूद शिंजो आबे ने अपने दम पर अपनी अलग राजनीतिक पहचान बनाई. इसके लिए उन्होंने खूब मेहनत और संघर्ष किया. पढ़ाई खत्म करने के बाद सबसे पहले उन्होंने कोबे स्टील में काम करना शुरू किया. लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा. दो साल बाद उन्होंने स्टील प्लांट की नौकरी छोड़ राजनीति में हाथ आजमाया. 


शिंजो आबे ने राजनीति में प्रवेश करने के लिए सबसे पहले साल 1982 में विदेश मंत्रालय और सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ नए पदों पर काम किया और सियासी दांवपेच सीखें. दस साल तक पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर काम किया. फिर साल 1993 में पहली बार विधायक का चुनाव जीता. इसके बाद साल 2005 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइजुमी के तहत मुख्य कैबिनेट सचिव नियुक्त किया गया. 


बतौर प्रधानमंत्री बनाया ये रिकॉर्ड


शिंजो आबे साल 2006 में पहली बार जापान के प्रधानमंत्री बने.जापान का सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी आबे के नाम है. लेकिन एक साल में ही उन्हें स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. फिर साल 2012 में दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए. वे लगातार 7 साल छह महीने तक जापान के प्रधानमंत्री पद पर बने रहे. लेकिन एक बार फिर से उनकी सेहत ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. 


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