Israel-Palestine conflict: इजरायल-फिलिस्तीन विवाद खत्म नहीं हो रहा. बरसों से जारी इस संघर्ष में लाखों लोग मारे जा चुके हैं, और लाखों लोगों को दूसरी जगहों पर शरण लेनी पड़ी है. वहां आए साल बड़े पैमाने पर हिंसा होती है, जिसकी कवरेज के दौरान कई जाने-माने पत्रकारों की जान जा चुकी है. एक महिला पत्रकार शिरीन अबू अकलेह (Shireen Abu Akleh) की पिछले साल मई में गोली लगने से मौत हो गई थी.
शिरीन अबू अकलेह को वेस्ट बैंक में इजरायली सुरक्षाबल के एक जवान की गोली लगी थी. बताया जाता है कि अल जजीरा की महिला पत्रकार शिरीन अबू अकलेह वहां उस समय रिपोर्टिंग कर रही थीं. गोलीबारी में उनकी मौत की घटना ने मिडिल ईस्ट में इजरायल के खिलाफ इस्लामिक मुल्कों के गुस्से को और भड़का दिया था. कतर बेस्ड मीडिया और फिलस्तीनी संस्थाओं ने शिरीन अबू अकलेह की मौत को हत्या बताया और इस अपराध के लिए दुनिया से इजरायल की भर्त्सना की अपील की.
'इजरायल में हम अपने लोकतंत्र को महत्व देते हैं'
इस घटना के एक साल अब इजरायली सुरक्षा बल (IDF) ने शिरीन अबू अकलेह की मौत के लिए माफी मांगी है. IDF के मुख्य प्रवक्ता रियर एडमिनिस्ट्रेटर डैनियल हागरी ने एक इंटरव्यू में कहा कि मेरे पास यहां कहने का अवसर है कि हम शिरीन की मौत के लिए बहुत दुखी हैं. वह एक अच्छी पत्रकार थीं. डैनियल ने आगे कहा कि इजरायल में हम अपने लोकतंत्र को महत्व देते हैं और लोकतंत्र में, हम स्वतंत्र पत्रकारिता देखते हैं. डैनियल ने कहा, हम चाहते हैं कि पत्रकार इजरायल में सुरक्षित महसूस करें. खासकर युद्ध के समय में, चाहें वे उस दौरान हमारी आलोचना ही क्यों न कर रहे हों.
2 दशक में 20 पत्रकारों की जा चुकी जान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2001 के बाद से इजरायली सेना के हमले में कम से कम 20 पत्रकारों की मौत हो चुकी है. मारे गए पत्रकारों में से करीब 18 फिलिस्तीनी थे. हैरानी की बात यह है कि इन मौतों के लिए इजरायल में किसी को भी आरोपित या जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है. हालांकि, वहां के सुरक्षा बलों ने पहली बार पिछले साल सितंबर में माना था कि दुर्घटनावश अबू अकलेह को गोली लग गई थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
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