Pakistan Occupied Kashmir News: पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir- POK) में आमजन बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं. वहां युवाओं को न रोजगार मिल रहे हैं, न बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पा रही है. स्कूल में पढ़ाई छोड़ने वालों की तादाद बढ़ रही है, खासकर लड़कियां पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहीं. उच्च शिक्षा के अवसरों में गिरावट आई है. एशियन लाइट इंटरनेशनल अखबार की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में शिक्षा के प्रति उपेक्षा ने हायर स्टडी के अवसरों को कम कर दिया है. यहां स्कूल छोड़ने वालों की उच्च दर को देखते हुए हाल ही में पीओके के प्रधानमंत्री सरदार तनवीर इलियास खान ने चिंता जताई थी. सरदार खान ने ये कहा है कि इसकी वजह युवाओं में पढ़ने की रुचि कम होना नहीं, बल्कि इसके पीछे कुछ और वजहें हैं.
बेरोजगारी धकेल रही उग्रवाद की ओर
एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट में इस बात पर भी फिक्र जताई गई है कि पीओके (POK) में बेरोजगार युवाओं को उग्रवाद में धकेला जा रहा है. यहां युवा लड़के-लड़कियों को उच्च शिक्षा नहीं देने के पीछे कोई साजिश लगती है. अखबार ने लिखा, विश्वविद्यालयों पर सारा दोष मढ़ना अनुचित है क्योंकि उनका उपयोग राजनीतिक टूल की तरह किया जा रहा है. नतीजतन, वे अपने कार्यों को उतनी प्रभावी ढंग से नहीं कर सकते जितना उन्हें करना चाहिए.
अखबार से पीओके के एक लेखक ने कहा, "समाज में, सरकारी नौकरी और आय प्राप्त करना ही शिक्षा का एकमात्र लक्ष्य है. जो दुनिया में अपना योगदान देने की क्षमता रखते हैं, वे आज समाज में सम्मानित होते हैं, जबकि अपने यहां की बताएं तो देश या समुदाय से इतर, विश्वविद्यालयों में शोध का स्तर भी अच्छा नहीं है."
'हर कोई नौकरी पाना चाहता है'
लेखक ये ये भी कहा, ''पीएचडी, एमफिल और एमए डिग्री धारक सरकारी नौकरी पाने के लिए मैट्रिक पास मंत्रियों के पास आते रहते हैं. नौकरी करने वाले और नौकरी देने वाले में बड़ा अंतर होता है. यहां हर कोई नौकरी पाना चाहता है, लेकिन खुद नौकरी देने की स्थिति में नहीं है."
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार के बावजूद (POK) के लोग अभी भी केवल व्यक्तित्वों पर अध्ययन कर रहे हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि विश्वविद्यालय डिग्री देने के कारखानों में तब्दील हो गए हैं. एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट में कहा गया है, "आविष्कार में निपुण देश न केवल दुनिया को सुविधाएं दे रहे हैं, बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था पर हावी होने के अलावा अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं."
'सरकारें कॉलेज-विश्वविद्यालयों को धन नहीं दे रहीं'
लेखक ने कहा, "पाकिस्तान में इनोवेशन उतने नहीं होते. अधिकांश पाकिस्तानी विश्वविद्यालयों में अध्ययन के मानक निम्न स्तर के हैं और महत्वपूर्ण अध्ययन विषयों की अनदेखी की जाती है." उन्होंने ये भी कहा, "हमारी सरकारें इन कॉलेजों को उच्च मानकों और शोध के लिए आवश्यक धन नहीं दे रही हैं. शैक्षिक प्रणाली कमजोर है और छात्रों को प्रश्न पूछने और पूछताछ करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ नहीं है."
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