Signal Messaging App: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के अधिकारी युद्ध योजनाएं शेयर करने के लिए एक मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल करती थी, इसमें गलती से एक पत्रकार को एड कर लिया गया. अब डेमोक्रेटिक सांसदों ने सुरक्षा उल्लंघन को लेकर जांच की मांग की है. ये मैसेजिंग ऐप सिग्नल और इसमें वॉर प्लान्स को एक-दूसरे से शेयर किया जाता था.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिकी कानून के तहत क्लासीफाइड जानकारी का गलत इस्तेमाल और दुरुपयोग करना अपराध हो सकता है, हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि इस मामले में उन प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है या नहीं.
कैसे काम करता है सिग्नल ऐप?
सिग्नल एक सिक्योर मैसेजिंग सर्विस है, जिसमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल होता है. इसका मतलब है सर्विस प्रोवाइडर अपने ऐप पर यूजर्स की निजी बातचीत और कॉल तक नहीं पहुंच सकता और न ही उन्हें पढ़ सकता है. इस तरह से ये अपने यूजर्स की गोपनीयता की गारंटी बनाए रखता है.
सिग्नल का सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन और कंप्यूटर दोनों पर मौजूद है और मैसेजिंग, वॉयस और वीडियो कॉल की सुविधा भी मिलती है. इस पर रजिस्टर करने और अकाउंट बनाने के लिए एक टेलीफोन नंबर की जरूरत होती है. ये दूसरे मैसेजिंग ऐप्स की तरह सिग्नल यूजर डेटा को ट्रैक या संग्रहीत नहीं करता है और इसका कोड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. इसलिए सुरक्षा विशेषज्ञ ये सत्यापित कर सकते हैं कि यह कैसे काम करता है और सुनिश्चित कर सकते हैं कि ये सुरक्षित रहे.
कितना सुरक्षित है ये ऐप?
सिग्नल एक ओपन-सोर्स और पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सर्विस है जो सिग्नल मैसेंजर की ओर से मेंटेन सर्वर पर चलता है. इसके सर्वर पर केवल यूजर डेटा ही इकट्ठा होता है, जैसे फोन नंबर, किस तारीख को यूजर शामिल हुआ और लास्ट लॉग-इन की जानकारी. यूजर्स के कॉन्टेक्ट, चैट और दूसरा डेटा इकट्ठा किया जाता है. हालांकि एक समय के बाद बातचीत को खुद हटाने का विकल्प सेट करने की संभावना होती है.
इसके अलावा, ऐप पर किसी भी तरह का विज्ञापन भी नहीं आता है. साथ ही सिग्नल यूजर्स को अपना फोन नंबर दूसरों से छिपाने और अपने मैसेज की सुरक्षा की पुष्टि के लिए एक दूसरे सुरक्षा नंबर का इस्तेमाल करने की सुविधा भी देता है.
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