वैश्विक आईटी हब सिलिकॉन वैली चाहता है कि भारत की तरह अमेरिका भी Tik Tok पर लगाए प्रतिबंध
वैश्विक आईटी हब सिलिकॉन वैली में किसी को भी भारत द्वारा टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का कोई खेद नहीं है बल्कि वहां लोग चाहते हैं कि अमेरिका भी चीन की इस लोकप्रिय एप के खिलाफ ऐसा ही कदम उठाए.
वाशिंगटन: भारतीय-अमेरिकी पूंजीपति का कहना है कि वैश्विक आईटी हब सिलिकॉन वैली में किसी को भी भारत द्वारा टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का कोई खेद नहीं है बल्कि वहां लोग चाहते हैं कि अमेरिका भी चीन की इस लोकप्रिय एप के खिलाफ ऐसा ही कदम उठाए. भारत ने टिकटॉक सहित चीन की 59 एप्स पर सोमवार को प्रतिबंध लगा दिया था. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण सीमा पर जारी गतिरोध के बीच यह कदम उठाया गया.
टीईई सिलिकॉन वैली के पूर्व अध्यक्ष वेंकटेश शुक्ला ने कहा कि टिकटॉक बेहद जल्दी लोक्रपिय होकर दर्शकों की संख्या, जनसांख्यिकीय जुड़ाव और विज्ञापनों के संदर्भ में ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्रभावी सोशल मीडिया मंचों की सूची में शामिल हो गया. टीआईई उद्यमी नेटवर्किंग का एक गैर-लाभकारी संगठन है.
शुक्ला ने कहा, ‘‘विज्ञापनों के संबंध में प्रतियोगिता को देखते हुए, सिलिकॉन वैली को टिकटॉक के लिए खेद नहीं है.’’उन्होंने कहा, ‘‘ बल्कि यहां लोगों का मानना है कि अमेरिका को भी इस (टिकटॉक) पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, क्योंकि फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम भी तो चीन में प्रतिबंधित है तो टिकटॉक यहां क्यों उपलब्ध है.’’
क्यूबा-अमेरिकी संगीत वीडियो निर्देशक और निर्माता रॉबी स्टारबक ने कहा कि अमेरिका को चीन की सभी वीडियो शेयरिंग ऐप पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. स्टारबक ने कहा ‘‘ चीन के सभी एप प्रतिबंधित कर दें. ये राष्ट्रीय सुरक्षा को एक ऐसा खतरा है, जिसे हम उठा नहीं सकते.’’
बिजनेस मैगजीन ‘फोर्ब्स’ ने कहा कि इन नए प्रतिबंधों का टिकटॉक के बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. उसने लिखा, ‘‘ पिछले सप्ताह एपल एएपीएल ने टिकटॉक को यूजर्स के ‘क्लिपबोर्ड’ में गुप्त रूप से सेंध लगाते पाया था. हालांकि टिकटॉक ने इसे एक तकनीकी समस्या बताया था लेकिन इसकी व्यापक स्तर पर आलोचना की गई थी.’’
अमेरिकी सेना ने पिछले साल दिसम्बर में अपने सैनिकों के टिकटॉक के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी थी. उसने एप को सुरक्षा को खतरा बताया था. अमेरिकी नौसेना ने भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. फरवरी में टिकटॉक एक मामले के निपटारे के लिए अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग को 57 लाख डॉलर देने को भी राजी हुआ था. इसमें टिकटॉक पर 13 साल से कम उम्र के बच्चों से नाम, ईमेल का पता, उनका स्थान आदि जैसी व्यक्तिगत जानकारी अवैध रूप से एकत्रित करने का आरोप था.