पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जेल से रिहाई को लेकर देश में विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा. रविवार को जेल से इमरान खान ने विरोध प्रदर्शन की अपील करते हुए अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से 24 नवंबर को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने या फिर पार्टी छोड़ने के लिए कहा था. अपनी रिहाई को लेकर इमरान खान ने देश में हो रहे इस प्रदर्शन को “फाइनल कॉल” नाम दिया है. इमरान खान की अपील के बाद से ही इस्लामाबाद में डी चौक के तहरीक ए इंसाफ (PTI) समर्थक जुट गए हैं. डी चौक वही जगह है, जिसके आस पास देश की कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतें, पीएम ऑफिस, संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन स्थित है.


तहरीक ए इंसाफ (PTI) के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ हिंसक झड़पें हुई है, जिसमें कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई है. इसके बाद देश में संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत सेना को तैनात कर दिया गया है. यहां तक की पाकिस्तान सेना ने प्रदर्शनकारियों को शूट एट साइट के भी आदेश दिए हैं. 


इस केस में जेल गए इमरान खान


बीते साल अगस्त के महीने से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अडियाला जेल में कैद है. उन्हें इस्लामाबाद की कोर्ट ने 5 अगस्त 2023 को तोशाखाना केस में आरोपी करार दिया था,  इसके बाद उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया.


24 नवंबर को बताया गुलामी से आजादी का दिन


इस विरोध प्रदर्शन को इमरान खान ने आजादी की लड़ाई के रूप में बताया है. इमरान खान ने सोशल मीडिया पर भी लिखा, “24 नवंबर गुलामी से आजादी का दिन है. देश को यह तय करना होगा की बहादुर शाह जफर की तरह गुलामी का जुआ पहनना है या टीपू सुल्तान की तरह आजादी का ताज.” सोशल मीडिया पर आरोप लगाते हुए इमरान खान ने लिखा कि उन्हें जेल में डालना, उन्हें सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए एक राजनीतिक चाल है. उनकी पार्टी के कार्यकर्ता फिर से चुनाव की मांग कर रहे हैं और उनका दावा है कि पिछले चुनाव में हेराफेरी हुई थी.


ये हैं PTI समर्थकों की तीन मांगे


इमरान खान की पार्टी और उनके समर्थक तीन मुख्य मांगों को लेकर इस्लामाबाद में प्रदर्शन कर रहे हैं. पहली- इमरान खान और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की जल्द से जल्द रिहाई की जाए. दूसरी- 2024 में हुए चुनाव के नतीजों को माना जाए (इस चुनाव में इमरान खान की पार्टी को बड़ा समर्थन मिला था). तीसरी- संसद के पास कोर्ट की ताकत कम करने वाले 26वें संविधान संशोधन एक्ट को रिवर्ट किया जाए.


कानून-व्यवस्था कायम रखना बड़ी चुनौती


देशभर में अशांति फैलने से सरकार के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गई है. प्रदर्शनकारियों के हिंसक तेवर और सुरक्षाबलों की सख्ती से हालात और गंभीर हो गए हैं. पाकिस्तान इस समय अपने राजनीतिक और सामाजिक इतिहास के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है.


(पीटीआई इनपुट भी)


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