Eid ul Fitr 2024: ईद उल फित्र 2024 पर जहां दुनिया भर में मुसलमान जश्न के आगोश में डूबे थे, वहीं पाकिस्तान में एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा था. यूट्यूबर सोहैब चौधरी के बनाए इस वीडियो में एक वकील यह कहता नजर आया कि पहले उसके पुरखे भी हिंदू थे. उन्होंने डर के चलते कलमा पढ़ा था और फिर मुसलमान बन गए थे. 


रियल एंटरटेनमेंट टीवी पर अपलोड किए गए 26 मिनट 52 सेकेंड्स के इस वीडियो में सोहैब चौधरी ने सवाल पूछा था कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि क्यों नहीं सुधर पा रही है और क्यों वैश्विक स्तर पर उनके मुल्क की बात नहीं सुनी जाती है? इस पर उन्होंने वकील अब्दुल वहीद से लंबी बात की. पाकिस्तान की मौजूदा हालात को लेकर उन्होंने दो टूक जवाब दिया, "हम जो करना चाहते हैं, वह असल में कर नहीं पा रहे हैं."


अब्दुल वहीद ने आगे दावा किया, "ये जो हिंदू हैं, ये किसी चीनी-अमेरिकी और यूरोपीय को अगले 25-50 साल में बहुत पीछे छोड़कर जाने वाले हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इतिहास में उन्हें कभी सुकून नसीब नहीं हुआ है. वे दुनिया में हर जगह जाकर नेतृत्व कर रहे हैं."



भारत में आक्रांताओं का जिक्र करते हुए पाकिस्तानी वकील ने यूट्यूबर को बताया- कभी कोई आ रहा है...कभी कोई आ रहा है. वे आकर उनकी औरतों को बेइज्जत कर रहा है. मैं तो यह भी कहूंगा कि अगर मेरे बड़ों ने कहीं कलमा पढ़ा था तब वह डरकर पढ़ा था. उन्हें पता था कि उनकी इज्जत और जायदाद महफूस नहीं है. 


कलमा पढ़ने के क्या हैं मायने?


कलमा ईश्वर (अल्लाह) के एक होने का ऐलान करता है. यह मुसलमानों का मूल मंत्र माना जाता है, जो कि इस प्रकार है: 'ला इलाह इल्लिल्लाह, महम्मद उर् रसूलिल्लाह.' यह इसके साथ ही पैगंबर मोहम्मद के अल्लाह के दूत होने की घोषणा करता है. इस्लामिक स्कूलों की मानें तो सिर्फ एक बार कलमा पढ़ना ही मुसलमान बनने के लिए काफी है. 


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