दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कर्फ्यू का एलान, शराब बिक्री पर भी लगा बैन
देश में मार्च से जारी राष्ट्रव्यापी बंद से शराब पर प्रतिबंध था, जिसे एक जून को हटा दिया गया, जिसके बाद शराब पीकर होने वाली दुर्घटनाओं और हिंसा के कई मामले सामने आने लगे और अस्पतालों पर दबाव बढ़ने लगा.
जोहानिस्बर्ग: दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर देश में जारी आपातस्थिति को 15 अगस्त तक बढ़ाने की घोषणा की है. रामाफोसा ने रात 9 बजे से सुबह चार बजे तक रोजाना कर्फ्यू की घोषणा भी की और चिकित्सा सुविधाओं पर दबाव कम करने के लिए शराब की बिक्री और वितरण पर भी फिर प्रतिबंध लगा दिया. पारिवारिक भेंट और सामाजिक दौरे भी प्रतिबंधित होंगे. हालांकि कोविड-19 से निपटने के लिए बनाई गई पांच स्तरीय रणनीति योजना में कोई बदलाव किए बिना मौजूदा स्थिति को तीसरे स्तर में ही रखा गया है.
रामाफोसा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के अभी 2,76,242 कंफर्म मामले हैं और 4,079 लोगों की इससे जान गई है, जिनमें से एक चौथाई पिछले सप्ताह के हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि रोजाना औसतन 12,000 नए मामले सामने आने आ रहे हैं. उन्होंने कई नागरिकों के मास्क लगाने और सामाजिक दूरी बनाए रखने जैसे एहतियाती नियमों का पालन ना करने को लेकर नाराजगी भी जतायी.
लॉकडाउन के नियम किए जा रहे नजरअंदाज रामाफोसा ने कहा, "हम में से कई लगातार लॉकडाउन के नियमों को नजरअंदाज कर रहे हैं. वे दूसरों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी नहीं समझ रहें. वायरस से निपटने की हमारी लड़ाई के बीच कई लोग ऐसे भी हैं जो पार्टी कर रहे हैं, शराब पी रहे हैं और बिना मास्क के भीड़ वाले स्थानों पर जा रहे हैं. अंतिम संस्कार में 50 लोगों के जाने की ही अनुमति है और 1000 से अधिक लोग अंतिम संस्कार में जा रहे हैं और वायरस फैला रहे हैं. इसी तरह लापरवाही से वायरस फैलता है."
उन्होंने वैश्विक महामारी से निपटने के लिए योजनाओं का भी ऐलान किया. इनमें इनमें कोविड-19 परीक्षणों के लिए 48 घंटे का एक ‘टर्नअराउंड टाइम’, अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या में वृद्धि, गैर-आवश्यक उद्देश्यों से ऑक्सीजन की आपूर्ति का विचलन और स्टील सहित विभिन्न दक्षिण अफ्रीकी संगठनों द्वारा वेंटिलेटर का तेजी से निर्माण शामिल है.
देश में मार्च से जारी राष्ट्रव्यापी बंद से शराब पर प्रतिबंध था, जिसे एक जून को हटा दिया गया, जिसके बाद शराब पीकर होने वाली दुर्घटनाओं और हिंसा के कई मामले सामने आने लगे और अस्पतालों पर दबाव बढ़ने लगा. इसे देखते हुए रामाफोसा ने शराब पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया है.
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