South Korea Birth Rate: भारत में जहां बच्चे कम पैदा करने को लेकर तरह-तरह के अभियान चलाए जाते हैं, वहीं दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां की महिलाएं बच्चा पैदा करना नहीं चाहती हैं. यह देश कोई और नहीं बल्कि साउथ कोरिया है, इस देश का प्रजनन दर इतना कम हो गया है कि देश के राष्ट्रपति ने इसे आपातकाल करार दिया है. अब साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ने देश में प्रजनन दर बढ़ाने के लिए अलग मंत्रालय का गठन करने वाले हैं, जिससे बच्चा पैदा करने के अभियान को बढ़ावा दिया जा सके.


गुरुवार को टेलीविजन पर बोलते हुए साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने कहा कि वह निम्न जन्म दर से जुड़े मंत्रालय के गठन के लिए संसद से सहयोग मांगेंगे. योल ने कहा कि कम जन्म दर को ठीक करने के लिए वह देश की सभी क्षमताओं को इकट्ठा करेंगे. साउथ कोरियन प्रेसीडेंट योल साल 2022 में पद संभालने के दो साल पूरे होने पर संवाददाता कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी सरकार ने बीते दो सालों में लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में असफल रही है. उन्होंने वादा किया कि बचे तीन साल के कार्यकाल में वह देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाएंगे और प्रजनन दर को ठीक करने के लिए काम करेंगे. 


साउथ कोरिया का प्रजनन दर दुनिया में सबसे कम
दरअसल, साउथ कोरिया में प्रजनन दर के मामले में दुनिया में सबसे पीछे है. प्रजनन दर को इस आधार पर तय किया जाता है कि एक महिला को पूरे जीवनकाल में कितने बच्चे पैदा होंगे. दक्षिण कोरिया में साल 2023 में प्रजनन दर औसत 0.72 दर्ज किया गया, जो साल 2022 के मुकाबले 0.78 से भी कम है. साउथ कोरिया में लगातार कई सालों से प्रजनन दर में गिरावट देखी जा रही है.


कितना होना चाहिए प्रजनन दर ?
किसी भी देश की आबादी को स्थिर बनाए रखने के लिए प्रजनन दर 2.1 होना आवश्यक है. इसके मुताबिक देश की हर महिला अपने जीवन काल में 2.1 बच्चे को जन्म दे तो उस देश की आबादी स्थिर रहेगी. इसके मुकाबले साउथ कोरिया समेत पूर्व एशियाई देशों में प्रजनन दर चिंताजनक बनी हुई है. इन देशों में औद्योगिकीकरण के कुछ सालों के बाद से ही बूढ़ों की आबादी बढ़ती जा रही है. जापान भी इस समस्या से लंबे समय से जूझ रहा है. युवाओं की कम होती संख्या से इन देशों में कामकाजी लोगों की संख्या भी कम हो रही है. 


क्यों घट रहा प्रजनन दर ?
विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोपीय देशों में भी बूढ़ी हो रही आबादी का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन देशों ने नया रास्ता चुन लिया है. आबादी के असर को कम करने के लिए दुनिया भर से प्रवासी मजदूरों को बुलाया जाता है. वहीं, दक्षिण कोरिया, जापान और चीन जैसे देशों ने कामकाजी उम्र की संख्या में गिरावट के बावजूद प्रवासी मजदूरों से दूरी बनाकर रखा है. विशेषज्ञों का मानना है कि कठिन वर्क कल्चर, वेतन में स्थिरता, जीवन यापन की बढ़ती लागत, विवाह के प्रति बदलता नजरिया और युवाओं में निराशा बढ़ी है, जिसकी वजह से इन देशों में प्रजनन दर में गिरावट आई है. 


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