तानाशाह की दोस्ती और तानाशाह की दुश्मनी दोनों में है खतरा, किसने बढ़ाए किम जोंग की तरफ दोस्ती के कदम?
साउथ कोरिया में गुब्बारों में पर्चे भरने के बाद हिलियम गैस से उसे उड़ा कर बॉर्डर पार उत्तर कोरिया भेजा जाता रहा है. हालांकि, इस पर नॉर्थ कोरिया की सरकारें नाराजगी जताती रही हैं.
नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया में अरसे से विवाद चला आ रहा है. आपसी रिश्तों को सुधारने के प्रयास भी किए गए हैं. लेकिन इस बार साउथ कोरिया ने इस दिशा में संसद में एक असाधारण बिल पारित कराया है, जिसके तहत नॉर्थ कोरिया में जाकर पर्चे गिराने वाले गुब्बारों को दक्षिण कोरिया से छोड़ने को अपराध बना दिया गया है. ऐसा पहली बार है जब साउथ कोरिया ने नॉर्थ कोरिया विरोधी पर्चों को बॉर्डर पास भेजने की कोशिश के खिलाफ कानून बनाया है.
क्यों साउथ कोरिया ने उठाया ये कदम?
नॉर्थ कोरिया से अपने संबंधों को सुधारने की दक्षिण कोरिया सरकार की प्रबल इच्छा के रूप में इस कदम को देखा जा रहा है. आलोचकों का ऐसा कहना है कि साउथ कोरिया की सरकार अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए अपने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने की हद तक चली गई. हालांकि, पहले कुछ मौकों पर सरकारी आदेश से गुब्बारों से पर्चे भेजने पर रोक जरूर लगाई गई थी, लेकिन आम तौर पर उत्तर कोरिया विरोधी कार्यकर्ता गुब्बारे भेजते रहे हैं.
क्या है साउथ कोरिया का नया कानून?
साउथ कोरिया में गुब्बारों में पर्चे भरने के बाद हिलियम गैस से उसे उड़ा कर बॉर्डर पार उत्तर कोरिया भेजा जाता रहा है. हालांकि, इस पर नॉर्थ कोरिया की सरकारें नाराजगी जताती रही हैं. नए कानून के तहत बिना सरकार की इजाजत के गुब्बारे छोड़ने वाले किसी व्यक्ति को 3 साल तक की कैद या तीन करोड़ वोन (लगभग 28 हजार डॉलर) का जुर्माना हो सकेगा. इसके साथ ही, यही गुब्बारा भेजने के लिए सामग्रियां रखने वाले या धन देने वाले व्यक्तियों को भी सजा दी जाएगी. सजा उन लोगों को भी होगी जो सीमाई इलाकों में लाउडस्पीकर से उत्तर कोरिया विरोधी प्रचार करेंगे या होर्डिंग लगाएंगे.
ज्यादातर विपक्षी सदस्यों ने इस बिल पर मतदान के दौरान संसद का बहिष्कार किया. इसके पहले उन्होंने बिल पर मतदान को टलवाने की कोशिश की. लेकिन सत्ताधारी पार्टी अपने इरादे पर कायम रही. संसद में 187 सदस्यों ने इस बिल का समर्थन किया. उनमें ज्यादातर सत्ताधारी पार्टी के हैं. इससे ये जाहिर हुआ कि सत्ताधारी पार्टी में प्रधानमंत्री मून जाये-इन की उत्तर कोरिया से संबंध सुधारने की नीति को भारी समर्थन हासिल है.