सोल: दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति मून जे इन ने शपथ ग्रहण करने के तत्काल बाद एलान किया कि वे परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच प्योंगयांग (उत्तर कोरिया की राजधानी) जाना चाहते हैं. वामपंथी झुकाव वाले मून पहले मानवाधिकार वकील थे. हाल के हफ्तों में ट्रंप प्रशासन के धमकी भरे रवैये के बावजूद मून अमन और शांति की खातिर प्योंगयांग के साथ संबंध रखने के समर्थक हैं.

सोल के नेशनल असेंबली भवन में शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में मून ने सांसदों से कहा, ‘‘जरूरत पड़ी तो मैं तत्काल वॉशिंगटन के लिए रवाना हो जाउंगा. मैं बीजिंग और तोक्यो भी जाउंगा और उचित परिस्थितियों में प्योंगयांग भी जाउंगा.’’ उत्तर कोरिया से संपर्क साधने का कूटनीतिक रास्ता मून के लिए मुश्किल भरा रहने वाला है. दरअसल उत्तर कोरिया ऐसी मिसाइल विकसित करने के सपने पाल रहा है जो अमेरिका में परमाणु जखीरे तक पहुंचा सके.

इसके साथ ही दक्षिण कोरिया और चीन के बीच अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली (थाड) को लेकर भी विवाद चल रहा है. मून ने चार बार से सांसद और पूर्व पत्रकार ली नाक यान का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया. इसके अलावा उन्होंने सू हून को राष्ट्रीय खुफिया सेवा का प्रमुख नियुक्त किया. हून ने साल 2000, 2007 में दो इंटर कोरियन समिट की तैयारी में अहम भूमिका निभाई थी.

मून के सामने घरेलू स्तर पर भी कई चुनौतियां हैं. मून ने कहा, ‘‘मैं सबका राष्ट्रपति बनूंगा. उनकी भी सेवा करूंगा जिन्होंने मेरा समर्थन नहीं किया.’’