सियोल: उत्तर कोरिया की बैलेस्टिक मिसाइल परीक्षण को लेकर दक्षिण कोरिया का आधिकारिक बयान सामने आया है. दक्षिण कोरिया के उप-रक्षा मंत्री ने सियोल में भारतीय मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारे पास इस मिसाइल का जवाब अमेरिका के साथ मजबूत सैन्य संबंध हैं और हमारे पास अपनी सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त है. साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि कोरियाई प्रायद्वीप में अभी भी स्थिति हाथ से नहीं निकली है और उसपर काबू पाया जा सकता है.


दक्षिण कोरिया के उप रक्षा मंत्री येओ सूक जो ने कहा कि भले ही उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार हो,  लेकिन दक्षिण कोरिया इसका मुकाबला पारंपरिक हथियारों से ही करेगा क्योंकि दक्षिण कोरिया को अमेरिका से 'न्यूक्लियर-एमब्रेला' (Nuclear umbrella) यानि परमाणु कवच मिला हुआ है. उन्होनें कहा कि उत्तर कोरिया अपने मिसाइल प्रोग्राम के जरिए हमें उकसाना चाहता है.



एबीपी न्यूज के इस सवाल पर कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन पर ना तो प्रतिबंधों का और ना ही हाल में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा का कोई असर हुआ है (और उसने फिर एक बैलेस्टिक मिसाइल लॉन्च की है), तो क्या युद्ध होकर रहेगा, इसपर रक्षा मंत्री ने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में हालात अभी हाथ से बाहर नहीं निकले हैं और हालात को काबू में किया जा सकता है. येओ सूक जो ने भरोसा दिलाया कि अगले साल फरवरी के महीने में दक्षिण कोरिया में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक सुरक्षित माहौल में संपन्न होंगे. साथ ही उन्होनें एबीपी न्यूज संवाददाता की किम जोंग उन के नाम के सही उच्चारण के लिए तारीफ की.


आपको बता दें कि दक्षिण कोरिया के शहर पेंयोंगचेंग में अगले साल फरवरी में विंटर-ओलंपिक होने जा रहे हैं. 1988 के सियोल ओलंपिक के दौरान उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के यात्री विमान को मार गिराया था जिसमें दो भारतीय सहित कुल 115 यात्रियों की जान चली गई थी.


उत्तर कोरिया ने एक बार फिर बैलेस्टिक मिसाइस का टेस्ट कर पूरी दुनिया को हिला दिया है. माना जा रहा है कि ये मिसाइल उत्तर कोरिया की सबसे शक्तिशाली मिसाइल है, जिसकी रेंज अमेरिका के पूर्वी तट तक है.


हालांकि मंगलवार को ही जापान ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि रेडियो सिग्नल के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर कोरिया ने कोई मिसाइल टेस्ट किया है. देर रात हालांकि इस बात की पुष्टि दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने भी कर दी. पूरी दुनिया उत्तर कोरिया के इस उत्तेजक कदम की आलोचना कर रही है.


इस मिसाइल का नाम हुवासांग-15 हैं और बताया जा रहा है कि परीक्षण के दौरान ये करीब 50 मिनट तक आसमान में रही और करीब 4500 किलोमीटर तक ऊपर गई थी. उसके बाद ये मिसाइल जापान के समंदर में आकर गिरी.



दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने आनन फानन मे ही रात मे नेशनल सिक्योरिटी बोर्ड की बैठक बुलाई. इसके बाद दक्षिण कोरिया ने भी एक मिसाइल टेस्ट का दावा किया.


दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बात की. इस बातचीत में इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे उत्तर कोरिया की इस तरह की उत्तजेक कारवाई पर लगाम लगाई जाए.


ऐसा लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दक्षिण कोरिया यात्रा का भी उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन पर कोई असर नहीं हो रहा है. इस बार जो इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण उत्तर कोरिया ने किया है वो उसकी सबसे लंबी दूरी और सबसे ऊंची जाने वाली आईसीबीएम मिसाइल है. माना जा रहा है कि इस मिसाइल की रेंज अमेरिका के पूर्वी तट तक है. यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा है कि अमेरिकी सेना का बजट और बढ़ाया जाना चाहिए.


उत्तर कोरिया ने जब ये टेस्ट किया तो एबीपी न्यूज की टीम भी दक्षिण कोरिया में मौजूद थी. टेस्ट के अगले दिन ही कोरियाई सेना ने सियोल से करीब 40 किलोमीटर दूर ग्योंगी प्रांत के यांगप्योंग मिलिट्री बेस पर अपनी ताकत का नमूना दिखाया. कोरियाई सेना का दावा है कि अगर दुश्मन ने उसकी सीमा की तरफ आंख उठाकर देखा तो उसको चकनाचूर कर दिया जायेगा. कोरियाई सेना की मैकेनाइज्ड यूनिट की इस मिलिट्री ड्रिल के दौरान भी एबीपी न्यूज की टीम वहां मौजूद थी. इस दौरान रास्ते में टैंकों की मूवमेंट साफ देखी जा सकती थी, लेकिन सेना के अधिकारी हाल-फिलहाल में युद्ध जैसी संभावना से इंकार करते दिखाई दिए.


अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की तरह ही भारत भी मानता है कि कोरियाई प्रायद्वीप में चल रहे सकंट का हल युद्ध नहीं है. लेकिन उत्तर कोरिया से बातचीत तभी हो सकती है जब वहां का तानाशाह मिसाइल टेस्ट और परमाणु परीक्षण बंद कर दे. क्योंकि इस तरह के हथियारों से हमेशा युद्ध का खतरा बना रहता है.