स्पेन में एक महिला रहस्मयी बीमारी के कारण पिछले 13 साल से ग्लास के केबिन में रहने को मजबूर है. केडिज (Cadiz) शहर में रहनेवाली 53 साल की महिला साल में दो बार अपने बच्चों से गले मिल सकती हैं. मगर उनसे कोई नहीं मिल सकता और अगर किसी को उनसे मुलाकात करनी है तो खास तरह के सेनेटाइजर से नहाने के बाद कॉटन के कपड़े पहनकर जाना होगा. डॉक्टरों ने उनकी दुर्लभ बीमारी को कभी न ठीक होनेवाली बताया है. उनका कहना है कि अगर उन्हें जिंदगी से प्यार है तो 25 मीटर के ग्लास केबिन में इसी तरह रहना होगा.
13 साल से ग्लास केबिन में रहने की मजबूरी
जूआना मोनोज नाम की महिला रसायन की वजह से संवेदनशील एलर्जी का शिकार हो गई थीं. पहले बच्चे के जन्म के समय उन्हें ये एलर्जी उस वक्त हुई जब उनके पति सब्जियों, फलों पर कीड़े मारनेवाला स्प्रे कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने पौधों को हाथ लगा दिया जिसकी वजह से उनको ये खतरनाक एलर्जी हो गई. केमिकल के संपर्क में आने के बाद उनकी हालत तेजी से खराब होने लगी. इलाज के लिए उन्हें ICU में कई दिन भर्ती रहना पड़ा. जब उनकी आंख खुली तो उन्होंने खुद को जीवित पाया.
घर में रहकर भी परिजनों से दूर है महिला
डॉक्टरों के मुताबिक उनकी ये एलर्जी इतनी ज्यादा खतरनाक है कि मालूम नहीं कब खत्म होगी. जुआना कहती हैं, "मुझे अपने बच्चों से दूरी का एहसास होता है. मेरे पास होकर भी बच्चे मेरे पास नहीं हैं. मेरा पति मुझसे बेहद प्यार करता है. इसलिए उसने आज तक मुझे नहीं छोड़ा. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे प्यार करनेवाला ऐसा पति मिला लेकिन अफसोस इस बात का है कि मैं उससे गले भी नहीं मिल सकती." उनकी दिली इच्छा है कि अपने परिजनों को पहले की तरह प्यार कर सकें. उन्हें अब पहले पोते के जन्म से पहले अमेरिका में निर्मित ऑर्गेनिक मास्क का इंतजार है. उनके पति अपनी पत्नी को खिलाने के लिए विशेष तौर पर ऑर्गेनिक साग-सब्जी उगाते हैं.
पहले पोते को गोद लेने के लिए है बेकरार
जुआना कहती हैं, "कुछ दिनों में मैं दादी बन जाऊंगी मगर मुझे नहीं मालूम कि जिंदगी में कभी उसे गोद भी ले सकूंगी. जिंदगी की सबसे बुरी चीज दर्द नहीं है बल्कि शारीरिक और मनोवैज्ञानिक नुकसान है. जिसकी वजह से मैं बाहर निकल कर साधारण जीवन नहीं जी सकती और न ही अपने परिजनों को प्यार कर सकती हूं." जुआना सोशल मीडिया पर एक मुहिम चला रही हैं जिसका मकसद ऐसे लोगों का समर्थन करना है जिन्होंने विषम परिस्थितियों के कारण खुद को आइसोलेट कर लिया है. स्पेनिश पत्रकारों से बात करने के लिए उन्होंने प्लास्टिक बैग के अंदर लिपटे माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया. माइक्रोफोन को शीशे के केबिन में उनके स्ट्रैचर के पास ले जाकर बातचीत को संभव बनाया जा सका.
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