नई दिल्ली: चीन ने ये साबित कर दिया है कि वो पूरी दुनिया का नहीं बल्कि इंसानियत का भी दुश्मन है. दुनिया कोरोना से लड़ रही है और चीन भूमाफिया बना हुआ है. दूसरों की जमीन पर उसकी नीयत फिर से खराब हो गई है. चीन खतरनाक मिशन में जुटा हुआ है, ऐसे मिशन जो इंसानियत के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं. कहते हैं कि 21वीं सदी में अब युद्ध वो देश जीतेगा जिसके पास सूचनाएं ज्यादा होंगी. ये सूचनाएं या तो वैध तरीके से हासिल हो सकती हैं या अवैध लेकिन चीन जैसा देश कानून पर भरोसा नहीं करता, इसीलिए वो सूचनाएं इक्कठा करने के लिए साम-दाम-दंड-भेद हर नीति अपनाता है. चीन विदेशों में रह रहे अपने देश के नागरिकों और छात्रों को जासूसी करने के लिए बाध्य करता है. चीन के कानून और दबाव में बंधे ये लोग जिस देश में रहते हैं उससे धोखा करने के लिए मजबूर हैं. चीन के छात्रों को उन देशों की जानकारी अपने देश भेजनी होती है. ABP न्यूज के पास चीन के कुछ खुफिया दस्तावेज हैं जो साबित करते हैं कि चीन की सरकार किस तरह अपने लोगों को दूसरे देशों में जासूसी करने पर मजबूर करती है.
दुनिया में साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका कोरोना वायरस इसी चीन से निकला है और इसीलिए चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है लेकिन चीन ने अमेरिका सहित पूरी दुनिया का सामना करने की तैयारी बहुत पहले कर ली थी. शायद तब, जब अमेरिका अपने सबसे ज्यादा शक्तिशाली होने के घमंड में चूर था. कहते हैं कि युद्ध गोला बारूद और सैनिकों की संख्या से ज्यादा सूचनाओं से जीते जाते हैं और 21वीं सदी की दुनिया में तो बहुत कुछ बदल गया है.
जासूसी, शक्तिशाली देशों का पुराना काम
अब असली युद्ध वो है, जिसमें आप बिना गोली चलाए या किसी की सीमा में दाखिल हुए सामने वाले को चित कर दें और चीन ने ऐसे युद्ध में महारत पाने की तैयारी बहुत पहले कर ली थी. एक दूसरे के खिलाफ जासूसी करवाना शक्तिशाली देशों का पुराना काम रहा है. अमेरिका और रूस एक दूसरे के खिलाफ ऐसी जासूसी दशकों से करवाते आए हैं लेकिन चीन ने जासूसी के लिए ऐसा हथियार चुना है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता है, ये हथियार हैं चीन के छात्र. क्या अपने छात्रों से जासूसी करवा रहा है चीन? मैंड्रिन यानी चाइनीज भाषा में लिखा एक दस्तावेज इसका सबसे बड़ा सबूत है. ये दस्तावेज चीन की मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन और ब्रॉडकास्टिंग ने वहां के शिक्षा मंत्रालय को लिखा है. ये एक सर्कुलर है जिसमें लिखा गया है कि, 'विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्र कोरोना की वजह से खराब हुई चीन की छवि को ठीक करने का काम करें. इससे जुड़ी जानकारियां उन देशों से चीन की सरकार को भेजें. छात्रों से उनके सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी भी मांगी गई है. ये भी कहा गया है कि लिस्ट पार्टी की एक कोर टीम को दी जाएगी. यानि चीन जासूसी और प्रोपेगैंडा के लिए दूसरे देशों में अपने छात्रों के इस्तेमाल से भी नहीं चूक रहा. चीन को डर है कि उसके खिलाफ माहौल बन रहा है और उसका असली चेहरा सबके सामने आ रहा है. अब ये देखिए कि चीन के किस देश में कितने छात्र हैं? अमेरिका में चीन के 340,000 छात्र हैं, यूनाइटेड किंगडम में चीन के 100,000 छात्र हैं, कनाडा में 143,000 छात्र हैं और भारत में चीन के सिर्फ 106 छात्र हैं. अमेरिका में चीन के छात्रों की संख्या इसलिए सबसे ज्यादा है, क्योंकि मौजूदा दौर में अमेरिका से ही चीन का सबसे बड़ा मुकाबला है इसीलिए अमेरिका में चीन के सबसे ज्यादा छात्र हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि 2007 में अचानक से अमेरिका में चीन के छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई. एक दशक में अमेरिका में 93% छात्र चीन से आ गए. अब हालात ये हैं कि अमेरिका में सबसे ज्यादा विदेशी छात्र चीन के ही हैं और जाहिर सी बात है इनमें से कई छात्र जासूसी में भी शामिल हैं.
चीन में भारत की पूर्व हाई कमिश्नर स्मिता पुरुषोत्तम का खुलासा
चीन में भारत की पूर्व हाई कमिश्नर स्मिता पुरुषोत्तम का कहना है कि चीन अपने छात्रों को बाहर भेजता है, हमारे लोग ऐसा नहीं करते हैं, लेकिन चाइनीज करते हैं. फरवरी 2020 में टेक्सस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बो माओ गिरफ्तार हुए उन्होंने एक स्टार्ट अप की तकनीक Huawei को दी थी. इसी तरह से यांक्विंग ये नाम की एक चीनी फौजी अफसर की FBI को तलाश है क्योंकि उसने जब छात्र के तौर पर वीजा के लिए अप्लाई किया, तो ये नहीं बताया कि वो फौजी है. 2019 में ही शिकागो में एक चीनी छात्र गिरफ्तार हुआ, जो अपने देश की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसों की भर्ती कर रहा था. अमेरिका से चीनी रिसर्च, शोध, आविष्कार और ट्रेड सीक्रेट चुरा रहे हैं. अमेरिकी जांच एजेंसी FBI 1000 से ज्यादा चीनियों के खिलाफ ऐसे मामलों की जांच कर रही है.
अमेरिका को चीन की जासूसी से 3782 करोड़ का नुकसान होता है
एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका को चीन की जासूसी से 3782 करोड़ का नुकसान होता है. अमेरिका में छात्र बनकर जासूसी करने या इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराने का सबसे बड़ा उदाहरण है रूपेंग लियु, इन्हें चीन का इलॉन मस्क कहा जाता है सिर्फ 36 साल की उम्र में लियु चीन के अरबपति हैं. लियु की कंपनी लोगों को अंतरिक्ष में भेजने पर काम कर रही है और वो भविष्य की तकनीक पर रिसर्च कर रहे हैं. लेकिन लियु पर अमेरिका के एक मशहूर वैज्ञानिक डेविड स्मिथ की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराने का आरोप है. डॉक्टर स्मिथ ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और वैज्ञानिक हैं. लियू 2006 में डॉक्टर स्मिथ का स्टूडेंट बनकर अमेरिका आया था, डॉक्टर स्मिथ अदृश्य हो जाने वाले एक लबादे पर रिसर्च कर रहे थे. कुछ इसी तरह जैसा कि हैरी पॉटर फिल्म में दिखाया गया है, डॉक्टर स्मिथ की रिसर्च के लिए अमेरिकन मिलिट्री ने फंडिंग की थी. एक दिन जब लैब में डॉक्टर स्मिथ नहीं थे, तब लियु ने अपने साथियों के साथ लैब की फोटो खींची, वहां क्या क्या रिसर्च हो रही है, इसकी जानकारी ली अलग अलग उपकरणों को मापा और ये सारी जानकारियां चीन भेज दिया. दावा है कि इसके बाद लियु ने भी चीन जाकर ऐसा ही अदृश्य लबादा बना लिया. यानि चीन अपने छात्रों के माध्यम से ऐसा करवा रहा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि चीन का हर छात्र जासूस है. बहुत से छात्र चीन की पाबंदियों की वजह से विदेशों में पढ़ने को मजबूर हैं लेकिन ये बात सही है कि चीन अपने लोगों से जानकारियां इक्कठा करवाता है, चीन ने बाकायदा इसके लिए कानून बनाया हुआ है.