Sri Lanka Political Crisis:  श्रीलंका के संकटग्रस्त राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके सत्तारूढ़ गठबंधन के अलग हुए सदस्यों द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई एक महत्वपूर्ण बैठक से पहले दलों ने जोर देकर कहा कि वे केवल तभी शामिल होंगे जब यह प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और मंत्रिमंडल की उपस्थिति के बिना आयोजित की जाएगी. देश में लंबे समय से चल रहे राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए एक सर्वदलीय सरकार के संभावित गठन पर चर्चा करने के लिए बुधवार को भी राष्ट्रपति गोटबाया ने सत्तारूढ़ गठबंधन के 11 राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई थी.


'बैठक पीएम के बिना होनी चाहिए' 
आमंत्रित लोगों में 40 से अधिक सदस्य हैं जिन्होंने सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) गठबंधन से अलग रहने की घोषणा की थी. पार्टी के नेताओं में से एक वासुदेव नानायकारा ने गुरुवार को कहा, “हम बैठक के लिए जा रहे हैं, लेकिन एक शर्त के तहत यह प्रधानमंत्री (महिंदा राजपक्षे) और मंत्रिमंडल की मौजूदगी के बिना होनी चाहिए.” पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के महिंदा अमरवीरा ने कहा कि उन्होंने गुरुवार को गोटबाया को दो शर्तों के साथ एक पत्र लिखा था, जिसका उन्होंने खुलासा नहीं किया.


राष्ट्रपति ने लिखा सभी पार्टी नेताओं को पत्र 
गोटबाया ने सत्तारूढ़ गठबंधन में सभी पार्टी नेताओं को लिखे एक पत्र में कहा था कि सरकार सैद्धांतिक रूप से संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले दलों से एक सर्वदलीय सरकार बनाने के लिए सहमत थी. उन्होंने शुक्रवार के लिए बैठक तय की. गोटबाया ने पत्र में कहा कि उनके बड़े भाई व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद सर्वदलीय सरकार बन सकती है.


महिंदा राजपक्षे दृढ़ हैं कि वह इस्तीफा नहीं देंगे और कोई भी अंतरिम सर्वदलीय सरकार केवल उनके नेतृत्व में ही बनाई जा सकती हैं.


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