Sri Lanka Economic Crisis: आर्थिक और राजनीतिक संकट (Economic and Political Crisis in Sri lanka) से जूझ रहे श्रीलंका में राष्ट्रपति के देश छोड़कर भाग जाने के बाद से ही श्रीलंकाइयों का गुस्सा और भड़क गया. लोगों के बढ़ते विरोध प्रदर्शन और तनाव के बीच श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Acting President Ranil Wickremesinghe) ने कल यानी 13 जुलाई को प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए सेना को खुली छूट दे दी. उन्होंने एक आदेश में कहा कि देश की सुरक्षा एजेंसियां देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति फिर बहाल करने के लिए जो संभव है वो करने के लिए स्वतंत्र है.
हालांकि श्रीलंकाई सेना ने कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग करने के आदेश को अस्वीकार कर दिया है. दरअसल श्रीलंकाई सेना ने अपने विरोध प्रदर्शन कर रहे नागरिकों के सामने हथियार नीचे कर दिए हैं. डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार फील्ड मार्शल और पूर्व आर्मी कमांडर सरथ फोन्सेका ने कहा कि आर्म्ड फोर्सेज को निहत्थे लोगों के बजाय भ्रष्ट राजनेताओं पर एक्शन लेना चाहिए, उन्होंने कहा कि वह इस संघर्ष में शामिल नागरिकों की जीत के लिए प्रतिबद्ध हैं.
वहीं दूसरी तरफ श्रीलंकाई चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ सवेंद्र सिल्वा ने नागरिकों से अपील की है कि वह देश में कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को सपोर्ट करें.
बिजली कटौती और बढ़ती मंहगाई से परेशान हैं लोग
बता दें कि श्रीलंका में मार्च के अंत में होने वाली बिजली कटौती और बढ़ती मंहगाई के कारण लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया था. इस देश में साल के सबसे गर्म महीनों में रोज़ाना 13 घंटों की बिजली कटौती की गई जिससे पूरे देश के लोगों में गुस्सा फूट पड़ा. हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन करने लगें. बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कुछ दिनों पहले एलान किया था कि वो 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. हालांकि उनके देश से भाग जाने के बाद अब उनके इस्तीफे को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
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