(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Shri Lanka Crisis: श्रीलंका में कभी भी थम सकते हैं गाड़ियों के पहिये, पीएम विक्रमसिंघे ने कहा- देश में बचा है सिर्फ एक दिन का पेट्रोल
Economic Crisis: श्रीलंका में अब नई मुसीबत सामने आई है. देश में पेट्रोल खत्म हो गया है और उसे खरीदने के लिए पैसे भी नहीं बचे हैं. पीएम ने खुद इस बात की जानकारी दी है.
Petrol Crisis: श्रीलंका के हालात अब और भी ज्यादा बुरे हो गए हैँ. देश में पेट्रोल खत्म हो गया है. विदेशी मुद्रा भंडारण भी खत्म हो चुका है. श्रीलंका के पास इतने पैसे नहीं बचे कि वो विदेश से तेल जैसे जरूरी सामानों को खरीद सके. पेट्रोल पंप पर लगी गाड़ियों की लंबी कतार आज से बेमतलब हो जाएंगी. क्योंकि पूरे श्रीलंका में अब एक बूंद पेट्रोल भी नहीं बचा है. इसकी पुष्टि खुद श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने की.
जरूरत की चीजें न मिलने पर परेशान हैं लोग
इसका मतलब ये हुआ कि आज श्रीलंका की गाड़ी ठप होने वाली है. श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो चुका है. इतने पैसे नहीं बचे कि वो दूसरे मुल्कों से पेट्रोल, कुकिंग गैस, दवा जैसे जरूरी सामानों को खरीद सके. 15 घंटे की बिजली कटौती और जबरदस्त महंगाई ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. पीएम रानिल विक्रम सिंघे को देश का खर्च चलाने के लिए 2.4 ट्रिलियन श्रीलंकाई रुपये की जरूरत है. जबकि सरकार को मिलने वाला राजस्व मात्र 1.6 ट्रिलियन श्रीलंकाई रुपये ही है. इसकी भरपाई के लिए श्रीलंका की संपत्तियों को बेचने तक की नौबत आ गई है. अब श्रीलंका की सरकार ने फैसला किया है कि सरकारी एयरलाइन्स को प्राइवेट हाथों में सौप दिया जाए.
संकट से झूझ रहे श्रीलंका को भारत ने पहुंचाई मदद
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने 4,00,000 मिट्रिक टन से अधिक डीजल वाली 12वीं खेप की आपूर्ति की है. कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट कर कहा कि 12वीं खेप और 4,00,000 मिट्रिक टन ईंधन की आपूर्ति की गई. भारत द्वारा रियायती ऋण योजना के तहत आज कोलंबो को डीजल की ताजा खेप की आपूर्ति की गई.
रुपयों के लिए दर-दर भटक रहा श्रीलंका
प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे देश में मौजूदा आर्थिक संकट पर विश्व बैंक और एडीबी के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की और इस दौरान दवाई, भोजन और उर्वरक आपूर्ति के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया. सरकारी बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि बैठक के दौरान वित्तीय सहायता के लिए एक 'फोरेन कन्सोर्टियम' (विदेशी संघ) गठित करने के संबंध में भी विदेशी प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श किया गया.
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