कोलंबो: श्रीलंका ने मंगलवार को पेट्रोल स्टेशनों पर सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया क्योंकि हजारों मोटर चालकों के बीच छिटपुट विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. मोटर चालक ईंधन के लिए लंबी कतारों में खड़े रहने को मजूबर हैं.  


दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र सात दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. रोजना घंटों बिजली कटौती की जा रही है, भोजन और रसोई गैस जैसे आवश्यक सामान की कमी हो गई है.


भीड़ ने कोलंबो में रोड को किया ब्लॉक 
सरकार के प्रवक्ता रमेश पथिराना ने कहा कि सोमवार को मिट्टी का तेल खरीदने में असमर्थ गुस्साई भीड़ ने कोलंबो में एक मुख्य मार्ग को ब्लॉक कर दिया और घंटों तक यातायात बाधित रहा जिसके बाद सैनिकों को तैनात किया गया.


सोशल मीडिया पर शेयर की गई इस घटना के फुटेज में दिखाया गया है कि गुस्साई महिलाओं के एक समूह ने खाना पकाने के चूल्हे के लिए आवश्यक मिट्टी के तेल की कमी के विरोध में एक टूरिस्ट कोच को ब्लॉक कर दिया.


पथिराना ने कहा, "हमने देखा कि पर्यटकों को रोका जा रहा है, हम यह भी सुन रहे हैं कि कुछ लोग तेल की जमाखोरी कर रहे हैं और इसलिए सरकार ने सेना को तैनात करने का फैसला किया है."


कोलंबो के बाहर ईंधन के लिए लंबी कतार में अपनी जगह को लेकर हुए विवाद के बाद एक अन्य चालक द्वारा मोटरसाइकिल सवार की चाकू मारकर हत्या करने की घटना भी सेना को बुलाने का एक कारण बनी है.


'लोगों का गुस्सा भड़क रहा है' 
एक शीर्ष रक्षा अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर एएफपी को बताया, "जैसे-जैसे कतारें लंबी होती जा रही हैं, गुस्सा भड़क रहा है. पुलिस को मजबूत करने के लिए सैनिकों को बुलाने का फैसला कल रात किया गया था. यह किसी भी अशांति को रोकने के लिए है."


पुलिस ने कहा कि शनिवार से ईंधन की कतार में लगे तीन बुजुर्गों की मौत हो गई है, उन्होंने कहा कि कई पेट्रोल स्टेशनों पर लोगों को डीजल और गैसोलीन की खरीद के इंतजार में रात भर डेरा डाले देखा गया.


सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सैनिकों को राज्य द्वारा संचालित सीलोन पेट्रोलियम कॉर्प के पंपिंग स्टेशनों पर तैनात किया गया है, जो 22 मिलियन लोगों के देश में ईंधन खुदरा व्यापार का दो-तिहाई हिस्सा रखते हैं.


राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय ने आर्थिक संकट पर चर्चा के लिए बुधवार को सभी राजनीतिक दलों के एक शिखर सम्मेलन की घोषणा की,  लेकिन विपक्षी समूहों ने कहा कि उन्होंने बैठक का बहिष्कार करने की योजना बनाई है.


देश में विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी 
श्रीलंका का वित्तीय संकट विदेशी मुद्रा की गंभीर कमी से उपजा है, जिससे व्यापारी आयात को फाइनेंस नहीं कर पा रहे हैं. कोविड -19 महामारी ने द्वीप के पर्यटन क्षेत्र - एक प्रमुख विदेशी मुद्रा अर्जक - और विदेशों में काम करने वाले श्रीलंकाई लोगों के आमदनी में भी तेजी से गिरावट आई है.


राजपक्षे ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि देश आईएमएफ से बेलआउट मांगेगा जिसका कहना है कि सरकार पर 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज का बोझ टिकाऊ नहीं है. सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि वह इस ऋण के पुनर्गठन की मांग कर रही है और कानूनी निहितार्थों पर सलाह देने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी फर्म की तलाश कर रही है.


विदेशी मुद्रा की कमी ने दैनिक जीवन के लगभग हर पहलू पर कहर ढाया है, अधिकारियों ने पिछले हफ्ते कागज और स्याही की कमी के कारण लाखों छात्रों के लिए टर्म टेस्ट स्थगित कर दिया था.


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