Sri Lanka: श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला (Udaya Gammanpila) ने उस बात को लेकर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है जिसमें श्रीलंका की 7 राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मदद मांगने बात कही थी. श्रीलंकाई तमिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित अपने पत्र में लिखा था कि वो श्रीलंका के संविधान के 13वें संशोधन (Constitutional Reform) को पूरी तरह से लागू करने के लिए श्रीलंका सरकार से बात करें. श्रीलंका का 13वां संविधान संशोधन तमिलों को उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिलाने से संबंधित है. इस बात को लेकर श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है न कि भारत का हिस्सा है.


पीएम मोदी को चिट्ठी लिखने पर भड़के श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री


श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला ने आगे कहा कि संविधान से जुड़े मुद्दे को राष्ट्रपति के सामने उठाना चाहिए था. भारतीय प्रधानमंत्री के सामने इस मुद्दे को उठाना सही नहीं है. बुधवार को साप्ताहिक कैबिनेट प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऊर्जा मंत्री ने टिप्पणी करते हए कहा कि 13वें संशोधन के मुद्दे पर मदद की गुजारिश करने वाली पार्टियों को श्रीलंका के निर्वाचित राष्ट्रपति के सामने उठाना चाहिए था. इस मसले को लेकर जो भी चिंताएं उसे राष्ट्रपति के सामने रखकर बात करनी चाहिए थी क्योंकि हम एक संप्रभु राष्ट्र हैं न कि भारत का हिस्सा. 


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संविधान के 13वें संशोधन को लागू करने की मांग


मंगलवार को कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त के साथ तमिल नेशनल अलाएंस (TNA) प्रतिनिधिमंडल ने एक बैठक आयोजित की थी. जिसका नेतृत्व पार्टी नेता आर सम्पंथन ने किया था. इस बैठक में पार्टी ने भारतीय उच्चायुक्त को पीएम मोदी को संबोधित करते हुए एक पत्र सौंपा था. ऊर्जा मंत्री से इसी संबंध में सवाल किया गया था जिसके बाद उन्होंने कड़ी टिप्पणी करते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति के सामने संविधान के 13वें संशोधन से संबंधित मुद्दे को उठाने की बात कही. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सात पन्नों की चिट्ठी में 13वें संशोधन को लागू करने और सार्थक शक्ति हस्तांतरण सुनिश्चित करने की बात है. पत्र में लिखा गया था कि श्रीलंका की कई सरकारों ने इस मसले को लेकर वादे किए हैं लेकिन इसे कोई भी सरकार अभी तक पूरा नहीं कर पाई है.


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