Sri Lanka Crisis: राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने राजपक्षे के लौटने पर जताया एतराज, कहा- बढ़ सकता है राजनीतिक तनाव
Sri Lanka News: पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका कब लौटेंगे इस बात की पुष्टि अभी नहीं हो पाई है. मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मुताबिक ये उनके स्वदेश लौटने का उचित समय नहीं है.
Sri Lanka Political Crisis: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Sri Lanka Former President Gotabaya Rajapaksa) स्वदेश यानी श्रीलंका लौटने के लिए तैयार हैं. इस बीच श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने गोटाबाटा से इस कदम पर एतराज जताया है. उन्होंने राजपक्षे के श्रीलंका लौटने के फैसले पर एतराज जताते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश लौटने का यह सही समय नहीं है क्योंकि इससे राजनीतिक तनाव (Political Tensions) बढ़ सकता है.
बता दें कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा,"मुझे नहीं लगता कि यह उनके लौटने का समय है. मेरे पास उसके जल्द लौटने का कोई संकेत नहीं है." रिपोर्ट में कहा गया है कि विक्रमसिंघे प्रशासनिक हैंडओवर मुद्दों और अन्य सरकारी कामों से निपटने के लिए राजपक्षे के संपर्क में हैं.
राजपक्षे को श्रीलंका लौटने पर दी जाएंगी ये सुविधाएं
गोटाबाया राजपक्षे बीते 13 जुलाई को श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच चुपचाप से देश छोड़कर भाग गए थे. श्रीलंका के सूचना एवं प्रसारण मंत्री बंडुला गुणवर्धने ने इस बात का खंडन किया कि पूर्व राष्ट्रपति सिंगापुर में छिपे हुए थे.
उन्होंने कहा कि गोटाबाया जल्द ही श्रीलंका लौट आएंगे. इस दौरान श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (SLPP) के अध्यक्ष, जीएल पेइरिस ने कहा कि गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका लौट आएंगे और वो उन सभी भत्तों और विशेषाधिकारों के हकदार होंगे जो किसी भी पूर्व राज्य प्रमुख देश के संविधान के मुताबिक दिए जाते हैं.
श्रीलंका में आर्थिक संकट का दौर जारी
आपको बता दें कि वर्तमान में श्रीलंका आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. वहां भोजन, ईंधन, दवाओं से लेकर रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की भारी किल्लत चल रही है. जिसके विरोध में श्रीलंका की जनता ने पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे के विरोध में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन भी किया था. प्रदर्शनकारियों ने 2 अप्रैल को राष्ट्रपति दफ्तर में प्रवेश पर कब्जा कर लिया और 9 जुलाई को राष्ट्रपति के सरकारी आवास और उनके दफ्तर में घुस गए. जहां भीड़ ने जमकर तोड़फोड़ भी की. गोटाबाया राजपक्षे ने मजबूर 14 जुलाई को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की घोषणा की.
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