Sri Lanka’s Economic Crisis: भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में इन दिनों हालात बेहद खराब हैं. यहां अस्पतालों में दवाईयां खत्म हो गई हैं. पेट्रोल और डीजल की भारी किल्लत के बाद पंप पर सैना तैनात कर दी गई है. साथ ही बिजली संकट भी पैदा हो गया है. श्रीलंका में साल 2015 के बाद से महंगाई रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है. जिसके बाद सब्जी और किराना के सामानों के दाम आसमान छू रहे हैं. 



बिजली संकट चरम पर, ट्रेनों के पहिए भी रुके


श्रीलंका में डीजल की कमी इस कदर हावी हो गयी है कि यहां बसों और ट्रेनों का पहिया तो थम ही गया है. साथ ही, बिजली पैदा करने वाले संयंत्रों के पूरी क्षमता से न चल पाने के कारण बिजली कटौती भी चरम पर पहुंच गयी है.  देश में सबसे अधिक कमी डीजल की है और यहां बस, ट्रेन और विद्युत संयंत्र और कई अन्य उद्योग ईंधन के रूप में इसका ही इस्तेमाल करते हैं. डीजल की भारी किल्लत के कारण उद्योग पर्याप्त क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं. श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री जामिनी लोकुगे का कहना है कि देश में ईंधन और गैस लेने के लिये लगी लोगों की कतार को खत्म करने में कम से कम सात माह लगेंगे. श्रीलंका में मार्च के पहले सप्ताह से 80 से 90 फीसदी बसें बंद कर दी गयी हैं. पूरे श्रीलंका में पेट्रोल पंप के बाहर ईंधन के लिये कारों की लंबी कतार देखना अब आम बात हो चुकी है. श्रीलंका ने हालांकि पेट्रोल की पर्याप्त आपूर्ति कर ली है, जिससे निजी वाहनों को उतनी ज्यादा किल्लत का सामना नहीं कर पड़ रहा है.


अस्पतालों में बिजली की कटौती


श्रीलंका के मेडिकल संगठन सरकार से अपील कर रहे हैं कि अस्पतालों में बिजली की कटौती न की जाये. बिजली की कटौती के कारण श्रीलंका का कृषि क्षेत्र भी प्रभावित हो रहा है. किसान बिजली संचालित मशीन नहीं चला पा रहे हैं और ईंधन की कमी के कारण वे अपनी फसलों को बाजार तक नहीं ला पा रहे हैं.


आवश्यक दवाएं खरीदने में मदद करेगा विश्व बैंक 


विदेशी मुद्रा की कमी के बाद आयात प्रतिबंधों के कारण श्रीलंका का स्वास्थ्य क्षेत्र वर्तमान में आवश्यक दवाओं की कमी का सामना कर रहा है. इस सप्ताह की शुरूआत में, कैंडी की मध्य पहाड़ियों में एक राजकीय अस्पताल में ऑपरेशन करने के लिए आवश्यक दवाओं की कमी के कारण एक दिन के लिए सर्जरी रुक गई थी, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तत्काल आपूर्ति भेजे जाने के बाद इसे सुलझा लिया गया था. अब विश्व बैंक ने सरकार के अनुरोध के बाद श्रीलंका के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवश्यक दवाओं की आवश्यक मात्रा में खरीद के लिए सहायता प्रदान करने का संकल्प लिया है.


ईंधन स्टेशनों पर लाइनों में लगकर मर रहे लोग


श्रीलंका के सरकारी स्वामित्व वाले सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन की ओर से चलाए जा रहे सभी ईंधन स्टेशनों पर सेना के जवान तैनात हैं. हर ईंधन स्टेशन पर दो सैन्यकर्मी तैनात किए गए हैं, क्योंकि लोगों को कई घंटों तक कतारों में खड़ा रहना पड़ रहा था. देश के विभिन्न हिस्सों में हाल के दिनों में ईंधन की कतारों में खड़े तीन लोगों की मौत हो गई, जिससे कई इलाकों में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई.


महंगाई ने तोड़े सभी रिकॉर्ड


श्रीलंका में डीजल की आर्पूर्ति नहीं होने से रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजें भी महंगी हो गई हैं. देश में एक किली मिर्च की कीमत 287 फीसदी बढ़कर 710 रुपए हो गई है. यहीं नहीं आलू के लिए आम जनता को 200 रुपए से ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. यहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत 254 रुपए है, जबकि एक लीटर दूध 263 रुपए बिक रहा है. एक ब्रेड की कीमत फिलहाल 150 रुपए है.


कंगाली की राह पर श्रीलंका


रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीलंका के पास अब देश चलाने के लिए भी पैसे नहीं हैं. ईंधन की कीम, बढ़ती महंगाई और कोरोना महामारी की वजह से देश का खजाना सूख रहा है. एक पूर्व रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को अगले कुछ महीनों में घरेलू और विदेशी ऋणों में अनुमानित 7.3 अरब डॉलर चुकाने की जरूरत है.


विदेशी मुद्रा विनिमय की कमी से मची तबाही 


श्रीलंका में विदेशी मुद्रा विनिमय की कमी ने कई महीनों से पूरे देश में तबाही मचायी हुई है विदेशी मुद्रा की कमी के कारण श्रीलंका अपना आयात बिल भी नहीं भर पा रहा है, जिससे ईंधन की खेप आनी बंद हो चुकी है. आंकड़ों के मुताबिक श्रीलंका का ईंधन का औसत आयात बिल 2010 से 2020 के बीच हर साल 3.725 अरब डॉलर रहा था. दिसंबर 2021 की शुरूआत में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडा मात्र एक माह के आयात बिल के लिये पर्याप्त था. सरकार का कहना है कि मित्र राष्ट्रों से आर्थिक राहत मांगकर ईंधन आपूर्ति का समाधान किया जा रहा है.


भारत कर रहा श्रीलंका की मदद


विदेशी मुद्रा की कमी के कारण भारत ने पिछले सप्ताह 1 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता दी है. भारत जनवरी से अब तक श्रीलंका को 2.4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता दे चुका है.


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