नई दिल्ली: श्रीलंका में रविवार ईस्टर पर्व के मौके पर हुए हुए सीरियल बम धमाकों में 3 भारतीयों समेत 290 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 500 से ज्यादा लोग जख्मी बताए जा रहे हैं. किसी आतंकी संगठन ने अभी तक इन आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन विदेशी मीडिया में नैशनल तौहीद जमात का नाम लिया जा रहा है, जो कि एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन है.


कौन है नैशनल तौहीद जमात


नैशनल तौहीद जमात श्रीलंका का एक कट्टरपंथी मुस्लिमों का संगठन है. जो पिछले ही साल तब सुर्खियों में छाया था, जब उसने भगवान बौद्ध की कुछ मूर्तियां तोड़ी थीं. जहां तक इस संगठन की शुरुआत की बात है तो यह साल 2014 में दुनिया के सामने आया जब इस संगठन के सेक्रेटरी अब्दुल रैजिक ने बौद्ध धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए. उनके बयानों की वजह से ही उन्हें 2016 में हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.


तौहीद जमात पर अभी तक नहीं लगाया गया प्रतिबंध 


इसके बाद इस संगठन पर बैन लगाने की मांग भी की गई. इस संगठन पर बैन लगवाने के लिए 2014 में पीस लविंग मुस्लिम्स इन श्रीलंका यानी PLMMSL ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार, श्रीलंका के राष्ट्रपति और अन्य कई राजनयिकों को पत्र तक लिखा. हालांकि इस पर अभी तक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. जानकारी के मुताबिक यह संगठन वहाबी विचारधारा को मानते हैं. बताया जाता है कि वहाब अल्लाह का प्रार्यवाची शब्द है.


कुछ दिन पहले श्रीलंका में जारी हुआ था आत्मघाती हमले का अलर्ट


बताया जाता है कि इस संगठन का एक ग्रुप भारत के तमिलनाडु में भी सक्रिय है. न्यूज एजेंसी फ्रांस प्रेस के मुताबिक कल हुए हमले से 10 दिन पहले यानि 11 अप्रैल को ही श्रीलंका के पुलिस चीफ ने पूरे देश में आत्मघाती हमले का अलर्ट जारी किया था. अलर्ट में विदेशी खुफिया एजेंसियों के हवाले से दावा किया गया था कि इस्लामिक चरमपंथी संगठन नेशनल तौहीद जमात बड़े चर्चों के साथ-साथ भारतीय उच्चायोग पर भी सुसाइड अटैक करने की तैयारी कर रहा है. हैरानी की बात है कि इतनी सटीक जानकारी होने के बाद भी हमलावर अपने मकसद में कामयाब हो गया है. इसको लेकर श्रीलंका में आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. श्रीलंका की सरकार ने पुलिस प्रमुख पर हमले के अलर्ट से जुड़ी जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया है.





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