Muslim Cremation: श्रीलंका की सरकार ने देश के मुसलमानों से औपचारिक रूप से माफी मांगने का निर्णय लिया है. सरकार पर आरोप है कि कोविड-19 के दौरान 276 मुसलमानों का जबरन दाह संस्कार कराया गया, जबकि इस्लाम धर्म में शव को दफनाने की मान्यता है. कहा जा रहा है कि श्रीलंका की सरकार ने कोविड 19 के दौरान स्वास्थ्य चिंताओं को ध्यान में रखते हुए अंतिम संस्कार के लिए विवादित नीति लागू की थी. साल 2020 में कोरोना की वजह से मरने वालों के लिए दाह संस्कार अनिवार्य किया गया था, जिसकी वजह से मुसलमानों समेत कई अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को धार्मिक अधिकार नहीं मिल सका.


श्रीलंकाई सरकार के इस आदेश का दुनियाभर के मुसलमानों ने जमकर विरोध किया, जिसके बाद साल 2021 में सरकार अपने इस आदेश को वापस ले लिया था. एक कैबिनेट नोट के मुताबिक, सोमवार को श्रीलंका की सरकार ने थोपे गए अपने आदेश के लिए देश के मुसलमानों से माफी मांगने का निर्णय लिया है. इसमें कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने सरकार की तरफ से सभी समुदायों से माफी मांगने का फैसला किया है. मंत्रिमंडल ने इस तरह के विवादित कदमों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए एक कानून बनाने का भी फैसला किया है. 


श्रीलंका की सरकार अंतिम संस्कार के लिए बनाएगी कानून
मंत्रमंडल के बयान में कहा गया है कि एक ऐसा कानून बनाने का फैसला किया गया है, जो लोगों को अपने धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार करने देने अनुमति देगा. मरने वाले व्यक्ति से जुड़ा व्यक्ति या उसके रिश्तेतार उसके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कर सकेंगे. देश में दाह संस्कार करने का आदेश आने के बाद मुसलमानों ने इसका जमकर विरोध किया था, कुछ लोगों ने तो मुर्दाघरों से लाश तक नहीं उठाई थी.


सरकार को कोरोना फैलने की थी चिंता
दरअसल, श्रीलंका में साल 2021 में आदेश रद्द करने के पहले 276 मुसलमानों का दाहसंस्कार कर दिया गया था. उस समय श्रीलंका की सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देकर शव दफनाने की अनुमति का विरोध किया था. सरकार ने कुछ विशेषज्ञों की राय का हवाला देकर कहा था कि शव को दफन करने से पानी प्रदूषित हो जाएगा, जिससे बीमारी बढ़ने का खतरा है. 


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