Sri Lanka Crisis:  श्रीलंका (Sri Lanka) एक अभूतपूर्व आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. 2.2 करोड़ लोगों की आबादी वाला श्रीलंका 1948 में आजादी के हासिल करने के बाद से अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. देश में विदेशी मुद्रा की कमी है, जिसकी वजह से वह ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के जरूरी आयात के लिए भुगतान कर पाने में असमर्थ हो गया है. श्रीलंका में जरूरी चीजों की भारी कमी हो गई.


लोगों के विरोध के कारण शनिवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने इस्तीफे की घोषणा कर दी. जानते हैं कैसे पिछले दिनों क्या-कुछ घटा जिसकी वजह से राजपक्षे को छोड़नी पड़ी कुर्सी.


31 मार्च, 2022
बिगड़ती आर्थिक स्थिति के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे के निजी आवास तक मार्च किया.


3 अप्रैल- राजपक्षे ने कैबिनेट की भंग
राजपक्षे ने कैबिनेट को भंग कर दिया, जिसमें उनके छोटे भाई बेसिल राजपक्षे भी वित्त मंत्री के रूप में शामिल किया गया, लेकिन बड़े भाई महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री बने रहे.


9 अप्रैल- विरोध प्रदर्शन हुआ तेज
राजनीतिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राष्ट्रपति को हटाने के उद्देश्य से राजपक्षे के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन के साथ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया.


9 मई- महिंदा राजपक्षे का पीएम पद से इस्तीफा
सरकार समर्थक और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच व्यापक संघर्ष के बाद, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया. देशव्यापी हिंसा में 9 लोगों की मौत हो गई और लगभग 300 घायल हो गए.


9 जुलाई का घटना क्रम



  • हजारों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति आवास में घुस गए. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए शुक्रवार को ही राष्ट्रपति ने अपने आवास से निकल गए थे.

  • प्रदर्शनकारियों ने लगाई पीएम के घर में आग

  • प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने कहा- वह भी इस्तीफा देने को तैयार हैं.

  • राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने श्रीलंका (Sri Lanka) संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने से कहा कि वह 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे.


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