Sudan At Unrest: पूर्वोत्तर अफ्रीका के देश सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल 'रैपिड सपोर्ट फोर्स' (RSF) आपस में भिड़ गई हैं. इससे वहां गृह युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरएसएफ ने सैन्य प्रमुख के आवास, राष्ट्रपति भवन और राजधानी खार्तूम के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर शनिवार (15 अप्रैल) को कब्जा कर लिया. आरएसएफ ने दावा किया है कि सेना ने पहले हमला किया था और उत्तरी शहर मेरोवे और पश्चिम में अल-ओबीद के स्थित हवाईअड्डों में कब्जा जमा लिया था. 


सेना के तरफ से दिए बयान में कहा गया कि आरएसएफ दूसरे महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों पर नियंत्रण न कर ले, इसलिए उसके खिलाफ वायुसेना ने अभियान शुरू कर दिया है. सेना ने आरएसएफ को विद्रोही बल घोषित किया है. टीवी पर कई फुटेज में खार्तूम के आसमान में विमान दिखाई दिए हैं. कई हिस्सों में गोलीबारी की आवाज सुनी गई. सेना और आरएसएफ के मुख्यालयों के पास गोलीबारी की आवाज सुनी गई और समाचार एजेंसी रॉयटर्स के रिपोर्टरों ने सड़कों पर तोपों और बख्तरबंद वाहनों को तैनात देखा.


स्थानीय चिकित्सकों ने बताया कि आवासीय इलाकों में भी झड़पें हुई और कई नागरिक घायल हुए हैं. इस बीच भारत समेत कई देशों में सूडान में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है. रिपोर्ट्स में अनुमान जताया गया है कि सूडान में करीब डेढ़ हजार भारतीय रहते हैं. आखिर सूडान की मौजूदा हालत का कारण क्या है और क्या गृह युद्ध होगा, आइये जानते हैं.


सूडान में सेना और आरएसएफ के भिड़ने का कारण


सूडान में अक्टूबर 2021 में हुए तख्तापलट के बाद से एक संप्रभु परिषद देश को चला रही है. इस परिषद के अध्यक्ष सूडान के सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल बुरहान हैं जबकि इसके उपाध्यक्ष का पद आरएसएफ प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के पास है. परिषद आरएसएफ को सेना का हिस्सा बनाना चाहती थी लेकिन अर्धसैनिक बल इसके लिए तैयार नहीं था.


आरएसएफ ने 10 वर्षों के लिए यह फैसला टालने के लिए कहा था. वहीं, सूडान आर्मी दो वर्षों के भीतर आरएसएफ के विलय को लेकर अड़ी थी. सेना और आरएसएफ के बीच इसी मुद्दे पर पिछले हफ्ते तनाव चरम पर पहुंच गया था. आरएसएफ ने मेरोवे स्थिति सेना के ठिकाने के पास अपने जवान तैनात कर दिए थे. जानकारों की मानें तो सेना और आरएसएफ के शीर्ष अधिकारियों की महत्वाकाक्षाओं की वजह से सूडान सुलगने लगा है.



इस हालत में कैसे पहुंचा सूडान और क्या होगा गृह युद्ध?


गौरतलब है कि अप्रैल 2019 में लोकतंत्र समर्थकों के सहयोग से सेना ने करीब तीन दशक से शासन करते आ रहे राष्ट्रपति उमर अल बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था. अगस्त 2019 में सेना और नागरिक राजनीतिक समूहों के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें कहा गया सेना और नागरिक समूह की ओर से नियुक्त अधिकारी सत्ता को साझा करेंगे. इसके बाद अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट करते हुए उस समझौते और व्यवस्था को रोक दिया.  


हाल में नागरिक सरकार को बहाल करने की बात फिर से उठी. सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल बुरहान ने प्रस्तावित नागरिक शासन में एकीकृत सेना के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि वह विवाद के हल के लिए सेंकेंड इन कमांड से बात करने को राजी है, लेकिन आरएसएफ प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगलो ने बात करने इनकार कर दिया.


इस बीच कई पश्चिमी देशों ने भी सेना और आरएसएफ के शीर्ष अधिकारियों से वार्ता के जरिये हल निकालने का आग्रह किया था. शुक्रवार (14 अप्रैल) स्थिति के सुलझने के संकेत मिले भी थे लेकिन अचानक तनाव भड़क उठा और सूडान में संघर्ष की स्थिति देखी जा रही है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि सूडान में स्थिति नहीं सुलझी तो गृह युद्ध भड़क सकता है.


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