Sudan Violence: सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल के बीच संघर्ष लगातार बना हुआ है जिसमें अब तक करीब 200 लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसी स्थिति में कर्नाटक (Karnataka) के लगभक 31 लोग अल-फशेर में फंसे हुए हैं. कर्नाटक के हक्की पिक्की जनजाति के प्रभु एस (Prabhu S) जो इन दिनों सूडान में फंसे हुए हैं उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मैं गरीब पैदा हुआ था, लेकिन मैं गरीब नहीं मरना चाहता. मैं अपने बच्चों के बेहतर जीवन देना चाहता हूं इसलिए सूडान आया." 


एस प्रभु ने बताया कि वो 36 साल के हैं जो पत्नी सोनिया के साथ 10 महीने पहले भारत से सूडान आए थे. उन्होंने बताया, इनके चार बच्चे हैं (5 और 8 साल के दो लड़के और 10 और 14 साल की दो लड़कियां) जो भारत में ही हैं. प्रभु ने द इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बात करते हुए कहा, "मेरे पिता से हमें 4.5 एकड़ विरासत में मिली थी लेकिन इसे सरकार ने ये कहते हुए ले लिया कि वो वन भूमि है. हमें कोई शिक्षा नहीं मिली. हमने सूडान आने के बारे में सोचा जिससे हम आर्थिक रूप से विकास कर सकें."


10 लाख रुपये का कर्जा था जिस कारण...- सूडान में फंसे प्रभु


एस प्रभु ने बताया कि वो और उनकी पत्नी आयुर्वेदिक उत्पाद बेचते हैं जिसकी मांग सूडान और अफ्रीका में अधिक है. प्रभु ने बताया, "भारत में कोई नौकरी नहीं होने के चलते मेरे ऊपर करीब 10 लाख रुपये को कर्जा आ पड़ा जिसके बाद पांच सालों के लिए अफ्रीकी देश में काम का फैसला किया. उन्होंने बताया, हमने प्लेन की टिकट खरीदने और सूडान तक सामान पहुंचाने के लिए 3 लाख रुपये का कर्ज लिया.'


और कोई विक्लप नहीं बचा... - सूडान में फंसे अनिल कुमार


इसी तरह एक अन्य फंसे शख्स जिसका नाम अनिल कुमार बताया गया. उन्होंने कहा कहा, "हमारी जनजाति को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है जिस कारण उनके पास अच्छा जीवन जीने के लिए अफ्रीकी देशों में जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था."


यह भी पढ़ें.


UP Nikay Chunav 2023: कांग्रेस ने मथुरा मेयर पद के लिए उम्मीदवार का किया एलान, जानिए किसे मिला टिकट