Suez Canal: आज के ही दिन स्वेज नहर से गुजरा था पहला जहाज, जानें इसके बंद होने से दुनिया में क्यों मच जाता है हाहाकार?
17 February History: लाल सागर और भूमध्य सागर को जोड़ने वाली इस नहर से दुनिया का 12 फीसदी व्यापार होता है. इसके ब्लॉक होने से 400 मिलियन डॉलर प्रति मिनट का नुकसान होता है.
Suez Canal History: दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक स्वेज नहर लाल सागर और भूमध्य सागर को जोड़ने वाला जलमार्ग है. यह नहर आर्किटेक्चर का अद्भुत नमूना है. साल 1854 में इसे बनाने की शुरुआत हुई थी और तकरीबन 10 सालों में यह पूरी हो सकी थी. 1864 में जब यह बनकर तैयार हुई तो तल में 25 फीट गहरी और 72 फीट चौड़ी और सतह पर 200-300 फीट चौड़ी थी. इसे बनाने के लिए यूरोप से मजदूर आए थे.
निर्माण के बाद इसके आधे शेयर फ्रांस के थे और आधे शेयर तुर्की, मिस्र और दूसरे अरब देशों के थे. बाद में इसका स्वामित्व मिस्र सरकार के हाथों में आ गया और अब उन्हीं के पास है. साल 1876 से इसे और बेहतर करने का काम शुरू हुआ। इसके बाद इस रास्ते का खूब जोरों-शोरों से इस्तेमाल होने लगा.
17 नवंबर 1869 को गुजरा पहला जहाज
17 नवंबर 1869 को इस नहर को आधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था. यह दुनिया के सबसे व्यस्ततम व्यापारिक मार्गों में से एक है जहां से दुनिया का 12 फीसदी व्यापार होता है. मिस्र की सरकार ने अगस्त 2014 में इसको और अधिक चौड़ा किया था जिसके बाद यहां से तेजी से जहाजों का निकलना सुनिश्चित हो सका था. इस पर करीब 60 बिलियन मिस्र पाउंड का खर्च आया था. इस नहर का इतना ज्यादा महत्व है कि यदि कोई जहाज फंस जाता है तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की सांसें थमने लगती हैं.
लाल सागर को भूमध्य सागर को जोड़ती है
स्वेज नहर करीब 194 किमी लंबी है. लाल सागर और भूमध्य सागर को जोड़ने वाली इस नहर की अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ये मार्ग 7 हजार किमी की दूरी को महज 300 किमी में बदल देती है. इससे समुद्र के रास्ते माल ढुलाई करने वाले जहाजों का समय बचता है और साथ में खर्च भी कम आता है. इस मार्ग की बदौलत जहाजों को अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर काटकर भूमध्य सागर में जाने से छुटकारा मिल जाता है.
दुनिया का 12 फीसदी व्यापार नहर से
भौगोलिक रूप से अद्भुत स्वेज नहर व्यापारिक रूप से दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. व्यापार के उद्देश्य से इस नहर का इस्तेमाल करने वाले जहाजों का समय और पैसा दोनों बचते हैं. एनबीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का 12 फीसदी व्यापार इसी जलमार्ग से होता है. इस नहर में जहाज फंसने से 9 बिलियन डॉलर प्रतिदिन का नुकसान होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में नहर के ब्लॉक होने से 400 मिलियन डॉलर प्रति मिनट का नुकसान हुआ था.
तेल व्यापार का सबसे अहम जलमार्ग
साल 2020 में नहर से करीब 19,000 जहाज गुजरे थे. एवर गिवेन जहाज के फंसने से दुनियाभर में कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई थी जिसमें कच्चे तेल के दाम भी बढ़ गए थे. तेल व्यापार में स्वेज की भूमिका का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नहर का जाम खुलने के बाद क्रूड ऑयल के दाम 2 फीसदी घट गए थे. साल 2004, 2006 और 2007 में जहाजों के फंसने की वजह से नहर का यातायात कुछ समय के लिए प्रभावित हुआ था.
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