नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है. पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार पर रोक लगा दी है. कमर जावेद बाजवा को अपने पद से 29 नवंबर को रिटायर होना था. लेकिन इमरान खान ने उनके रिटायरमेंट से तीन महीने पहले उनकी सेवा विस्तार का नोटिफिकेशन जारी कर दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिफिकेशन को सस्पेंड कर नोटिस जारी किया.
प्रधानमंत्री के नोटिफिकेशन पर अदालत में जोरदार बहस
सेना प्रमुख के सेवा विस्तार को ‘ज्यूरिट्स फाउंडेशन’ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही थी.
सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में क्षेत्रीय सुरक्षा का हवाला दिया गया. और सेना प्रमुख की सेवा विस्तार के पीछे इसी को दलील बनाया गया. मगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्षेत्रीय सुरक्षा का मामला किसी संस्था की जिम्मेदारी होती है ना कि किसी अफसर की. सुप्रीम कोर्ट मौके पर पेश अटार्नी जनरल के जवाब से भी संतुष्ट नहीं हो सका. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अटार्नी जनरल सेना प्रमुख के सेवा विस्तार पर अदालत को संतुष्ट नहीं कर सके. उन्होंने कानून का कोई ऐसा हवाला नहीं दिया जिससे पता चले कि नई तैनाती या सेवा विस्तार को वैधता मिलती हो. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आड़े हाथों भी लिया. कोर्ट ने कहा कि सरकार को सेना प्रमुख की सेवा विस्तार का अधिकार नहीं है बल्कि राष्ट्रपति के पास धारा 243 के तहत अधिकार है.
अदालत में इस दौरान काफी जोरदार बहस भी देखने को मिला. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के प्रतिनिधि से पूछा कि क्या कैबिनेट की मंजूरी से ये फैसला लिया गया था. इस पर अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि 25 सदस्यों में से 11 इसके पक्ष में थे जबकि 14 सदस्यों ने इस पर अपनी कोई राय जाहिर नहीं की. तब अदालत ने पूछा कि क्या आपने उनकी खामोशी को ‘हां’ समझ लिया. आखिरकार मुख्य न्यायाधीश ने सरकार के नोटिफिकिशन को सस्पेंड करते हुए सेना प्रमुख, सरकार और रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर दिया. मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी.
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट इमरान खान की टिप्पणी पर फटकार लगा चुका है. साथ ही अदालत पर भड़काऊ टिप्पणी करने से बचने की नसीहत दे चुका है. इमरान खान ने नवाज शरीफ को विदेश में इलाज कराने को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक रैली में सवाल उठाया था. इस पर विधायिका और न्यायपालिका में ठन गई थी.