Syria Civil War: सीरिया में बशर अल असद के अपदस्थ होने बाद से पूरे देश में तेजी से हालात बदल रहे हैं. सीरिया अक्सर आतंकवादी हमलों, सत्ता के संघर्षों के लिए चर्चा में रहता हैं, लेकिन इस देश का परिचय बस इतना भर नहीं है. सीरिया अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है. 


विद्रोहियों ने रविवार (8 दिसंबर 2024) को सीरिया की राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया. इसके बाद राष्ट्रपति बशर अल असद को देश छोड़ना पड़ा. राजधानी की सड़कों पर लोग जश्न मना रहे हैं. लेकिन हमेशा अशांत रहने वाले दमिश्क और आसपास के क्षेत्र पैगंबर मोहम्मद और इस्लामिक इतिहास से जुड़े हैं और धार्मिक श्रद्धालुओं और इतिहासकारों के लिए बेहद अहम माने जाते हैं.  


अतीत में शिल्प उद्योग का केंद्र था दमिश्क


दमिश्क, जिसे दुनिया का सबसे प्राचीन बसा हुआ शहर माना जाता है, लेकिन अब भी आधुनिक सुविधाओं से अब भी काफी दूर है. यह शहर अपनी प्राचीन इमारतों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां के बुनियादी ढांचे में सुधार की काफी गुंजाइश है. यूनेस्को के मुताबिक, तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में स्थापित, दमिश्क अफ्रीका और एशिया के बीच पूर्व और पश्चिम के मुहाने पर अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण एक अहम सांस्कृतिक और वाणिज्यिक केंद्र था.


दमिश्क दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे शहरों में से एक माना जाता है. शहर के बाहरी इलाके में टेल रामद में खुदाई से पता चला है कि दमिश्क 8,000 से 10,000 ईसा पूर्व के बीच बसा हुआ था. हालांकि, अरामियों के आने तक इसे एक महत्वपूर्ण शहर के रूप में दर्ज नहीं किया गया था. मध्यकालीन काल में, यह एक समृद्ध शिल्प उद्योग का केंद्र था, जहां शहर के कई इलाके विशेष व्यापार या शिल्प में कुशल  थे.


पैगंबर मोहम्मद से कैसे है जुड़ाव?


दमिश्क में पैगंबर मोहम्मद की दो पत्नियां और पहले मुअज्जिन बिलाल और अली की बेटी बीबी ज़ैनब की कब्रें हैं. दमिश्क से कुछ किलोमीटर दूर स्थित ज़ैनबिया नामक बस्ती में हज़रत अली की बेटी बीबी ज़ैनब का मकबरा है. यह स्थान शिया समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र है और यहां बड़ी संख्या में ज़ायरीन (तीर्थयात्री) आते हैं. इस स्थल की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता इसे मध्य-पूर्व का एक प्रमुख तीर्थस्थल बनाती है. 


दमिश्क का प्राचीन बाब सगीर कब्रिस्तान इस्लामिक इतिहास में अलग महत्व समेटे हुए है. यहां पैगंबर मोहम्मद की पत्नी उम्म-उल-मोमिनीन उम्मे सलमा और उम्मे हबीबा की कब्रें हैं. इसके साथ ही, इस्लाम के पहले मुअज्ज़िन हज़रत बिलाल और पैगंबर के कई अन्य साथी और परिजन भी यहां दफ्न हैं. इन ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि ये इस इलाके की सांस्कृतिक पहचान और इतिहास का अभिन्न हिस्सा हैं.


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