दमिश्क: सीरिया में हुए कथित रासायनिक हमले के जवाब में अमेरिका ने सीरिया पर हमला किया है. इस हमले में उसके साथ ब्रिटेन और फ्रांस भी शामिल हैं. हमले में सीरिया के मिलिट्री बेस और केमिकल रिसर्च सेंटरों को निशाना बनाकर 100 से ज़्यादा मिसाइलें दागी गईं. रूस ने कहा है कि इनमें से कई मिसाइलों को मार गिराया गया है और इस हमले का परिणाम युद्ध हो सकता है.


इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आठवें साल में पहुंच चुके इस गृहयुद्ध के दौरान हुए ताज़ा रासायनिक हमले पर कहा कि ऐसा हमला कोई दानव ही कर सकता है. वहीं सीरिया समर्थक रूस ने एक और हमलावर बयान में कहा है कि इस हमले से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अपमान हुआ है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.


जैसा की आप पढ़ चुके हैं कि ये गृह युद्ध अपने आठवें साल में है और इस दौरान लाखों लोगों ने अपनी जानें गंवाई हैं, आइए आपको बताते हैं कि इस युद्ध में कौन किस तरफ से लड़ रहा है.


सात साल के गृहयुद्ध में कौन किसके साथ



ये गृहयुद्ध सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के उन वादों के खिलाफ शुरू हुआ था जिनमें उन्होंने सीरिया में चुनाव करवाने से लेकर नए बदलाव लाने की बातें कही थीं. देश के युवाओं ने साल 2010 में ट्यूनीशिया में शुरू हुए 'जैसमिन रिवॉल्यूशन' से प्रेरणा ली और असद सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. लेकिन असद सरकार ने बाकी के दोशों में हुए तख्तापलट से सीख ले ली थी और शुरुआत से लेकर अबतक हुए हर तरह के विरोध को कुचलने में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. इस युद्ध में रूस जैसे दुनिया के बेहद ताकतवर देश से लेकर और पड़ोस में बसे एक और ताकतवर देश ईरान तक सीरिया के समर्थक हैं.


वहीं ट्यूनीशिया के बाद जिन देश में 'जैसमिन रिवॉल्यूशन' ने दस्तक दी उनमें मिश्र से लेकर लीबिया तक हर जगह अमेरिका का दख्ल रहा. लीबिया में अमेरिकी नेतृत्व में वहां के तानाशाह मुअम्मर अल-गद्दाफ़ी को मार गिराया गया और तब से वो देश दुनिया के सबसे अशांत देशों की लिस्ट में शामिल है. इसी तर्ज पर अमेरिका ने सीरिया में भी कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष तौर पर दख्ल दिया और हमले किए.


सीरिया के राष्ट्रपति असद के विरोधियों के खेमे में अमेरिकी नेतृत्व में सऊदी अरब और तुर्की जैसे देश शामिल हैं. आप ये बात जानकर दंग हो सकते हैं लेकिन ISIS के खात्मे में लगे अमेरिका को लेकर ऐसी ख़बरें भी आई हैं कि इस युद्ध में असद के खात्मे के लिए उसने अप्रत्यक्ष तौर पर ISIS का भी साथ दिया है.


 सीरिया और उसके समर्थक



 




  • रूस सीरिया का सबसे बड़ा समर्थक है. UN में सीरिया का पक्ष लेने से लेकर इसे हथियार और आर्थिक सहायता देने में रूस कभी पीछे नहीं हटा.

  • ईरान भी पैसे और हथियारों से सीरिया की मदद कर रहा है.

  • शिया हथियार बंद मिलिशिया को भी ईरान, सीरिया में इसकी फौज की सहायता के लिए भेजता रहा है.

  • सीरिया में लेबनान हिजबुल्ला मूवमेंट के लोग भी हैं.

  • ईरान, लेबनान, इराक़, अफ़गानिस्तान और यमन से हज़ारों की संख्या में शिया लड़ाके सीरियाई आर्मी की तरफ़ से जंग में शामिल हैं.


अमरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत कई पश्चिमी देश विद्रोहियों के साथ खड़े है



अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

  • अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन के गठबंधन में शामिल तुर्की भी असद का विरोधी है.

  • ये गठबंधन 'उदार विद्रोहियों' को समर्थन देता रहा है.

  • इस जंग में कई समूह हैं जो कहीं विरोधी है तो कहीं समर्थक हैं.

  • जैसे कुर्द लड़कों को असद के खिलाफ अमेरिका मदद करता है.

  • वहीं अमेरिका के ये कुर्द सहयोगी तुर्की को फूटी आंखों नहीं भाते.

  • तुर्की में कुर्द अपने लिए अलग इलाके की मांग की जंग लड़ रहे हैं.

  • लेकिन कुर्द  को अरब और अमेरिका का अप्रत्यक्ष समर्थन हासिल है.


सबसे आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि अरब, अमेरिका के साथ है लेकिन वो असद के खिलाफ ISIS की मदद करता है. वहीं अमेरिका ISIS के खिलाफ पूरी दुनिया में मोर्चा खोले हुए है और ISIS के वही आतंकी सीरिया में तीसरे मोर्चे पर जंग लड़ रहे हैं. अरब की मदद से ये असद को सत्ता से उखाड़ फेंकना चाहते हैं.