Basher al-Assad in Russia : सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद की 24 साल की सरकार इस्लामिक विद्रोहियों के हमले के बाद बदल गई. तख्तापलट हुए लगभग हफ्ते का समय बीत चुका है. विद्रोहियों के प्रभाव के बाद बशर अल-असद को देश छोड़कर भागना पड़ा. देश छोड़ने के दौरान बशर के प्लेन के क्रैश होने की अफवाह जैसी खबरें भी सामने आई थी, हालांकि अगले दिन स्पष्ट हो गया कि बशर अल-असद सुरक्षित रूप से देश से बाहर निकल चुके हैं. सीरिया में असद परिवार को 50 साल का शासन खत्म हो चुका है और देश के छोड़कर निकलने के बाद अब बशर की पहचान रूसी शरणार्थी के तौर पर है.


बशर के देश छोड़ने की किसी को जानकारी नहीं


सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता का अंत हो चुका है. लेकिन असद को लेकर कई सवाल अभी भी चर्चा में बने हुए हैं. इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि असद ने देश छोड़ने का फैसला कब लिया और इसके लिए किसने उन्हें सलाह दी, वह देश छोड़कर कैसे और कब निकले और इस पूरे एग्जिट प्लान की रूपरेखा कब तैयार हुई. सीरिया में जो कुछ भी घटा, उसके बारे में जानकारी रखने वाले 12 से अधिक लोगों ने रॉयटर्स से बातचीत में कई बातें सामने रखीं. उन्होंने बताया कि एक बात सामने आई कि बशर अल-असद ने सीरिया छोड़ने का अपना प्लान लगभग किसी को नहीं बताया था. जहां एक तरफ देश में उनकी सत्ता का पतन हो रहा था, वहीं उन्होंने अपने सहयोगियों, अधिकारियों और संबंधियों तक को अंधेरे में रखा था.


बशर अल-असद को था रूसी सैन्य सहायता का इंतजार


देश छोड़कर रूस की राजधानी मॉस्को भागने से कुछ घंटे पहले बशर अल-असद ने रक्षा मंत्रालय में लगभग 30 सेना और सुरक्षा प्रमुखों की एक बैठक की थी. जिसमें उन्होंने भरोसा दिलाया था कि रूसी सैन्य सहायता जल्द ही पहुंचेगी. इसके बाद उन्होंने जमीन पर तैनात सैन्य बलों से मोर्चा संभाले रखने की बात कही थी. इस बैठक में शामिल एक कमांडर ने जानकारी दी कि असद ने अपने प्रेसिडेंशियल ऑफिस मैनेजर से कहा कि काम खत्म करने के बाद वह घर जा रहे हैं, लेकिन घर की जगह वे एयरपोर्ट चले गए थे.


अपने समर्थकों को उनके हाल पर छोड़ गए बशर अल-अशद


बशर अल-असद ने देश छोड़ने के पहले अपनी मीडिया सलाहकार बुशैना शाबान को भी फोन किया था और उन्हें भाषण तैयार करने के लिए अपने घर बुलाया था. लेकिन जब वह वहां पहुंची, तो घर खाली था. अरब रिफॉर्म इनिशिएटिव के निदेशक नदीम हौरी ने कहा, ‘असद ने आखिरी लड़ाई भी नहीं लड़ी, उन्होंने अपने सैनिकों को इकट्ठा करने की कोशिश तक नहीं की.’