Syria Protest: अरब मुल्कों में साल 2011 में अरब स्प्रिंग की शुरुआत हुई. इस क्रांति ने खाड़ी के कई मुल्कों में सरकार बदलवा दी. ट्यूनीशिया के शासक रहे जिने अल-आबिदीन बेन अली को देश छोड़ना पड़ा. लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया. मिस्र में राष्ट्रपति होस्नी मुाबरक ने 30 साल बाद सत्ता छोड़ी. लेकिन इन सबके बीच एक देश ऐसा रहा, जहां अरब क्रांति का असर नहीं हुआ और वो मुल्क था सीरिया.
हालांकि, 12 साल बाद ऐसा लगने लगा है, जैसे सीरिया में एक बार फिर से बगावत की शुरुआत हो चुकी है. लोग राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासनकाल से परेशान हो चुके हैं. दरअसल, सीरिया में पिछले दो हफ्ते से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. शुरुआत में प्रदर्शन हल्के रहे, लेकिन अब इसने रफ्तार पकड़ ली है. प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि राष्ट्रपति असद को पद छोड़ना चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस प्रदर्शन की वजह क्या है.
सीरिया के 'तानाशाह' हैं राष्ट्रपति असद?
राष्ट्रपति बशर अल-असद जुलाई 2000 से ही सीरिया के राष्ट्रपति बने हुए हैं. पिछले 23 सालों से उनके पास सीरिया की सत्ता है. उन्हें अपने पिता हाफिज अल असद से विरासत में सीरिया की सत्ता मिली है. 2011 में तो ऐसा लगने लगा कि शायद अब असद को भी सत्ता छोड़नी पड़े. मगर ऐसा नहीं हुआ. तब से लेकर अब तक उन्होंने सत्ता पर पकड़ बनाई हुई है. लोगों की नजर में उन्हें राष्ट्रपति के बजाय 'तानाशाह' के तौर पर देखा जाता है. इसकी वजह ये है कि गृहयुद्ध के दौरान उन्होंने अपने ही लोगों पर कड़ी कार्रवाई की थी.
कौन कर रहा प्रदर्शन?
सीरिया के दक्षिणपश्चिम शहर एस-सुवायदा में प्रदर्शन की शुरुआत हुई. प्रदर्शनों की अगुवाई द्रूज अल्पसंख्यक समुदाय कर रहा है. सीरिया के गृहयुद्ध के दौरान जिन इलाकों से असद को समर्थन मिला था, वहां अब उनके खिलाफ बगावत हुई है. माइनॉरिटी राइट्स ग्रुप इंटरनेशनल के मुताबिक, द्रूज समुदाय सीरिया का तीसरा सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है, जिसकी आबादी 3 से 4 फीसदी है. गृहयुद्ध में साथ रहने वाला समुदाय अब असद के खिलाफ हो चला है.
प्रदर्शन की वजह क्या है?
अल जजीरा के मुताबिक, सीरिया की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर में हैं. महंगाई आसमान छू रही है. सबसे पहले प्रदर्शनों की शुरुआत महंगाई और खराब आर्थिक स्थिति को लेकर ही शुरू हुई. लेकिन जल्द ही लोगों ने असद सरकार को हटाने की मांग करना शुरू कर दिया. सरकार ने दो हफ्ते पहले तब लोगों को बड़ा झटका दिया, जब ईंधन और गैस की कीमतों में दी जाने वाली सब्सिडी कम कर दी गई. इससे लोगों का प्रदर्शन और भी ज्यादा उग्र हो गया.
किन-किन जगहों पर हो रहे प्रदर्शन?
एस-सुवायदा से शुरू हुए प्रदर्शन आग की तरह देश के अलग-अलग शहरों तक पहुंच गए हैं. उत्तर में अलप्पो और इदलिब में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. ठीक इसी तरह से उत्तर पूर्व के दीर-एज जोर शहर में भी लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. दमिश्क, लताकिया, टारटूज और अन्य प्रमुख शहरों में भी लोगों ने महंगाई और असद सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है. कई जगहों पर राष्ट्रपति असद की तस्वीर को भी जलाया गया है.
सीरिया में कैसे हैं लोगों के हालात?
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति असद ने पिछले कुछ सालों में खूब पैसा बनाया है. मगर देश के लोगों की हालत बदतर होती चली गई है. गृहयुद्ध के बाद से लोग और भी ज्यादा गरीब हो गए हैं. दो करोड़ से ज्यादा आबादी को युद्ध की वजह से विस्थापित होना पड़ा है. देश का इंफ्रास्ट्रक्चर बर्बाद हो चुका है. हालात इतने खराब हैं कि देश की 90 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. भ्रष्टाचार और पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से तो हालत और भी ज्यादा बदतर हो चुके हैं. लोगों के लिए दो वक्त का खाना भी मुश्किल है.
क्या सीरिया में होगा तख्तापलट?
इटली के फ्लोरेंस में मौजूद यूरोपियन यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर और रिसर्चर जोसेफ डाहर ने अलजजीरा से बात करते हुए कहा कि अभी तक सीरिया में तख्तापलट होने या सरकार गिरने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है. इसकी वजह ये है कि अब तक प्रदर्शनकारी एक साथ नहीं आ पाए हैं. उनका कहना है कि अलग-अलग शहरों में हो रहे प्रदर्शनों की अगुवाई करने वालों को एक साथ आना होगा. जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक असद की सत्ता को कोई खतरा नहीं है.
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