Chinese Aircraft in Taiwan Sea: ताइवान और चीन के बीच का तनाव बढ़ता ही जा रहा है. ताइवान ने कहा है कि चीन ताइवान के आसपास लगातार अपनी दखल बढ़ा रहा है. ताइवान की रक्षा मंत्रालय (एमएनडी) ने जानकारी दी है कि चीन ने सोमवार और मंगलवार को ताइवान के नजदीक 8 सैन्य विमान और 5 नौसेना के जहाज भेजे हैं. चीन ने पहले भी धमकी दी थी कि एक दिन वह ताइवान पर कब्जा कर लेगा. चीनी विमानों और जहाजों पर नजर रखने के लिए ताइवान ने कई विमान और नौसेना की जहाज को भेजा है. इसके अलावा ताइवान ने एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को भी तैनात कर दिया है.
ताइवान के समंदर में चीनी गुब्बारा
एमएनडी ने सोमवार (25 दिसंबर) को रात 10:30 बजे केलुंग से लगभग 122 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में लगभग 7900 मीटर की ऊंचाई पर ताइवान स्ट्रेट मध्य रेखा को पार करते हुए एक चीनी गुब्बारे को भी ट्रैक करने का दावा किया है. एमएनडी ने बताया कि गुब्बारा पूरब की ओर चला गया और 25 सितंबर की दरमियानी रात को गायब हो गया.
चीन ने भेजे सैंकड़ों जहाज
इस महीने चीन ने ताइवान की ओर कम से कम 230 सैन्य विमान और 142 नौसैनिक जहाजों को भेजा है. ताइवान के नजदीक चीनी सेना की बढ़ती दखल से कई कयासों का हवा मिल रही है. लेकिन चीन किसी जंग में पड़ना चाहेगा इसकी बहुत कम संभावना है. दरअसल चीन अपनी विदेश नीति को लेकर बहुत संवेदनशील है. अर्थव्यवस्था में विदेश नीति का काफी प्रभाव है. इसलिए चीन पश्चिमी देशों की आलोचनाओं से बचना चाहेगा. जिनपिंग ने रूस के साथ दक्षिण का व्यवहार देखा है.
चीन की विदेश नीति का 'थ्री नो'
चीन अपनी विदेश नीति को 'थ्री नो' के आधार पर परखता है. इसके तहत ही वो अपनी नीतियां बनाता है. थ्री नो का मतलब कि वो कौन सी तीन चीजें हैं जो नहीं करनी चाहिए. इसमें पहला है नो अलायंस यानी किसी गुट का हिस्सा न बनना. दूसरा नो कॉन्फ्रंटेशन यानी कोई टकराव नहीं और नो टार्गेटिंग थर्ड पार्टीज यानी किसी तीसरे पक्ष पर निशाना नहीं बनाना है. हालांकि ताइवान के मामले में चीन अपनी विदेश नीति को लेकर कितना गंभीर है इसके बारे में अंदाजा नहीं है.
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