चीन की युद्ध की धमकी का 'पड़ोसी' ने दिया धमाकेदार जवाब
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा को देश की प्राथमिकता बना दिया है और चीन द्वारा ताइवान को इसका हिस्सा बनाने की मांगों को सिरे से नकार दिया है. इसके बाद से ही चीन 23 मिलियन की आबादी वाले इस द्वीप पर आर्थिक, राजनयिक और सैन्य हर तरह का दबाव बना रहा है.
ताइपे: साल की शुरुआत में ही चीन ने अपनी सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने युद्ध की तैयारी से जुड़े अपने बयान में कहा था कि अगर ताइवान को वापस चीन का हिस्सा बनाने के लिए बल का प्रयोग करना पड़े तब भी चीन इससे नहीं हिचकेगा. इसका करारा जवाब देते हुए ताइवन ने एक लाइव फायर ड्रिल की है जिससे ये साफ है कि युद्ध की स्थिति में ताइवान भी पीछे नहीं हटेगा.
इस लाइव ड्रिल में आर्टिलरी से लेकर असॉल्ट हेलिकॉपटरों तक से टॉरगेट पर निशाना लगवाया गया. वहीं, बारिश के बीच फ्रांस निर्मित मिराज विमानों ने भी उड़ान भरी. चीन की युद्ध की धमकी के बाद ये पहला मौका है जब ताइवान ने लाइव ड्रिल को अंजाम दिया है. इस ड्रिल से पहले अमेरिका के पेंटागॉन से एक रिपोर्ट भी आई थी जिसमें चीन की बढ़ती सैन्य ताकत और ताइवान पर हमले को लेकर उसकी इच्छा पर चिंता ज़ाहिर की गई थी.
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा को देश की प्राथमिकता बना दिया है और चीन द्वारा ताइवान को इसका हिस्सा बनाने की मांगों को सिरे से नकार दिया है. इसके बाद से ही चीन 23 मिलियन की आबादी वाले इस द्वीप पर आर्थिक, राजनयिक और सैन्य हर तरह का दबाव बना रहा है. चीन ने अमेरिका को भी ताइवान की किसी तरह की मदद को लेकर चेतावनी दी है.
आपको बता दें कि ताइवान को अमेरिका सबसे ज़्यादा हथियार बेचता है, ऐसे में उसके ऊपर किसी तरह के हमले की स्थिति में इसका बचाव करना उसकी कानूनी ज़िम्मेदारी है. 1949 के गृह युद्ध के दौरान चीन से अलग हुए ताइवान को ड्रैगन अपना अभिन्न अंग मानता है. वहीं, ताइवान जैसे मुद्दों के अलावा ट्रेड वॉर जैसी चीज़ों ने अमेरिका-चीन के रिश्तों को बद से बदतर बना दिया है. इस बीच ताइवान के ऐसे बल प्रदर्शन पर चीन की गंभीर प्रतिक्रिया को लेकर आशंका बनी हुई है.
अमेरिका से भारत के लिए बेहद चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन अपनी सैन्य ताकत में बेतहाशा बढ़ोतरी कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्रैगन अपनी ताकत को जल, थल और वायु हर ओर पुख्ता कर रहा है. इसके मुताबिक जिस हिसाब से चीन अपनी ताकत बढ़ा रहा है उसकी वजह से आने वाले समय में वो अपने पड़ोस के साथ-साथ दुनिया भर में जैसा चाहेगा वैसा कर पाएगा. रिपोर्ट में डोकलाम विवाद और हिंद महासागर को लेकर भी चिंता जताई गई है.
अमेरिकी रक्षा विभाग ने 'चीन: सैन्य ताकत को लड़ने और जीतने के लिहाज़ से सशक्त बनाने वाला आधुनिकीकरण' के नाम से एक कांग्रेस-मैंडेट वाली रिपोर्ट जारी की है. इस मौके पर सीनियर डिफेंस इंटेलिजेंस एनालिस्ट डैन टेलर ने बताया, "चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के रणनीतिक उद्देश्यों में चीन को एक महान शक्ति बनाना भी शामिल है." रिपोर्ट में कहा गया है कि असल में चीन तेज़ी से जमीन, हवा, समुद्री, अंतरिक्ष और सूचना डोमेन की क्षमताओं के साथ एक मजबूत घातक ताकत का निर्माण कर रहा है, जो बीजिंग को अपने क्षेत्र और उसके बाहर अपनी इच्छाशक्ति को थोपने में सक्षम बना देगा है.
किन क्षेत्रों पर है ध्यान टेलर ने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को चीन के "नई सदी में ऐतिहासिक मिशन" को लागू करने के लिए एक ताकत के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. भविष्य में रक्षा क्षमता के विकास के केंद्र में परमाणु प्रतिरोध, साइबर स्पेस, अंतरिक्ष और विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम जैसी चीज़ें होंगी. टेलर के अनुसार चीन "गैर-युद्ध अभियानों" के लिए भी अपनी क्षमता का विकास कर रहा है, जिसमें मानवीय सहायता, आपदा राहत, काउंटर-पाइरेसी और ऐसी कई चीजें शामिल हैं.
पहुंच बढ़ा रहा है चीन रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन हिंद महासागर और अन्य सागरों में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए पाकिस्तान में ग्वादर सहित अन्य विदेशी बंदरगाहों तक अपना विस्तार कर रहा है. अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका, पश्चिम एशिया और दक्षिण एशिया में वाणिज्यिक बंदरगाहों तक पहुंच बढ़ाने की चीनी सेना की कोशिशों से भविष्य में बंदरगाहों तक सैन्य साजोसामान मुहैया कराने की आवश्यकता पूरी होगी.
संभावना है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) अपने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू साजोसामान अभियान, आपूर्ति, पुन: पूर्ति के लिए वाणिज्यिक बंदरगाहों और असैन्य जहाजों का इस्तेमाल करेगी. रिपोर्ट में कोरियाई प्रायद्वीप की पहचान एक ऐसे क्षेत्र के रूप में की गई है जहां अस्थिरता और अनिश्चितता की स्थिति है. साथ ही भारत के साथ लगती चीन की सीमा पर क्षेत्रीय विवादों के संबंध में भी चिंताएं जताई गई है. सीमा विवाद के कारण 2017 में विवादित डोकलाम क्षेत्र में तनावपूर्ण गतिरोध पैदा हुआ था.
पेंटागन ने कहा कि चीन अपना पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत बना रहा है. इस जहाज का प्राथमिक उद्देश्य क्षेत्रीय रक्षा अभियान में मदद देना होगा. उसने कहा, ‘‘बीजिंग संभवत: हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए इस जहाज का इस्तेमाल करेगा.’’ इस जहाज का प्रारंभिक परीक्षण मई 2018 में हुआ था और इसके 2019 तक बेड़े में शामिल होने की संभावना है.
शी ने सेना से युद्ध को तैयार रहने को कहा था आपको बता दें कि 2019 में देश की सेना के साथ पहली मुलाकात में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कुछ ऐसा कहा है जो अचंभित करने वाला है. भारत के इस पड़ोसी देश के राष्ट्रपति शी ने अपनी सेना से युद्ध और अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है. शी ने केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) की एक बैठक में कहा कि बड़े पैमाने पर और तेजी से आधुनिक बन रही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को खतरे, संकट और युद्ध को लेकर जागरूक रहना चाहिए. सीएमसी देश का शीर्ष सैन्य संगठन जिसके शी अध्यक्ष हैं.
इसे 2019 में सेना के लिए शी के पहले आदेश के रूप में देखा जा रहा है, इस दौरान उन्होंने पूरे साल सशस्त्र बलों के प्रशिक्षण से जुड़े एक आदेश पर भी हस्ताक्षर किए. भारत के साथ सीमा विवाद के अलावा, दक्षिण चीन सागर में कई देशों के साथ निरंतर समुद्री क्षेत्रीय विवादों के बीच शी का ये आदेश आया है. वहीं, चीन द्वारा ताइवान को इसका हिस्सा बनाए जाने को लेकर अमेरिकी विरोध को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है. ताइवान को चीन अपना अभिन्न अंग मानता है.
शी ने ताज़ा बयान में कहा है कि चीन ने ताइवान को फिर से "अपना बनाने" के लिए बल के उपयोग का अधिकार सुरक्षित रखा है. आपको ये भी बता दें कि ताइवान एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक रूप से चलने वाला देश है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान की सुरक्षा के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए एशिया को आश्वासन की पहल के कानून पर हस्ताक्षर किया है. इसी के बाद से शी के तेवर बेहद सख्त हो गए हैं.
चीनी राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों की त्वरित और प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता पर बल दिया, जिससे उन्हें संयुक्त अभियानों की कमांडिंग क्षमता को उन्नत करने, नए लड़ाकू बलों को बढ़ावा देने और लड़ाई की परिस्थितियों में सैन्य प्रशिक्षण में सुधार करने के लिए कहा. चीन और भारत 2017 में एक सैन्य झड़प के करीब आए थे. दोनों देशों के सैनिकों के बीच डोकलाम में सिक्किम की सीमा के पास 73-दिन तक गतिरोध चला था.
कूटनीतिक बातचीत ने आखिरकार सैनिकों के बीच तनाव को कम किया और स्थिति को ठीक कर दिया जिससे सीमा पर संभावित संघर्ष की स्थिति टल गई. चौंकाने वाली जानकारी ये है कि चीनी मीडिया ने चीन द्वारा 'मदर ऑफ ऑल बम' (एमओएबी) के परीक्षण को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है जिससे पूरे विश्व का ध्यान चीन की ओर गया है. एमओएबी की ताकत का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ये परमाणु बम से थोड़ा ही कम शक्तिशाली होता है. शी के बयान से लेकर चीनी मीडिया की ऐसी रिपोर्ट्स किसी शुभ संकेत की ओर तो इशारा नहीं कर रहे.
ये भी देखें
फटाफट: RSS ने राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार पर साधा निशाना