Taiwan Defence Budget: चीन और ताइवान के बीच लगातार टेंशन बढ़ती जा रही है. ताइवान को डराने के लिए चीन की सेना बार-बार लड़ाकू विमानों को इस द्वीपीय देश की ओर भेज रही है. रूस ने जिस तरह से यूक्रेन पर हमला किया है. उसके बाद से ही इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ऐसा ही कुछ चीन ताइवान के साथ भी कर सकता है. यही वजह है कि चीन से निपटने के लिए ताइवान लगातार अपना रक्षा बजट बढ़ रहा है.
ताइवान ने ऐलान किया कि वह अब अपनी जीडीपी का 2.6 फीसदी तक रक्षा बजट पर खर्च करने वाला है. उसका कहना है कि वह चीन से मुकाबला करने के लिए हथियारों की खरीद और सेना को ताकतवर बनाने के लिए 19.1 अरब डॉलर खर्च करेगा. भले ही ये बड़ी राशि मालूम होती है, लेकिन आकंड़ें कुछ और ही बता रहे हैं. पिछले साल ताइवान का रक्षा बजट 18.3 अरब डॉलर रहा था. ऐसे में इस साल रक्षा बजट में महज 3.5 फीसदी का ही इजाफा हुआ है.
चीन का रक्षा बजट कितना है?
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहले ही इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि 2049 से पहले ताइवान को चीन में मिला लिया जाएगा. बीजिंग इस बात को भली-भांति जानता है कि ऐसा करने के लिए उसे अपना रक्षा बजट बढ़ाना होगा. वर्तमान में चीन का रक्षा बजट 224 अरब डॉलर है, जो ताइवान से 12 गुना ज्यादा है. चीन ने बैलिस्टिक मिसाइल, मॉडर्न एयर डिफेंस यूनिट, सबमरीन तैयार करने पर खूब पैसा लगाया है. इन हथियारों की तैनाती ताइवान की तरफ की गई है.
चीन-ताइवान के पास कितने हथियार हैं?
हथियार और सैनिक | चीन | ताइवान |
सक्रिय सैनिकों की संख्या | 20,35,000 | 1,70,000 |
तोपों की संख्या | 9800 | 1200 |
जंगी जहाजों की संख्या | 139 | 57 |
लड़ाकू विमान | 1900 | 300 |
बॉम्बर और अटैक एयरक्राफ्ट | 450 | 0 |
पनडुब्बी | 71 | 2 |
(सोर्स: अमेरिकी रक्षा मंत्रालय)
जंग हुई तो किसे मिलेगी जीत?
CIA डायरेक्टर विलियम बर्न्स का कहना है कि चीन 2027 तक ताइवान पर हमला कर सकता है. ऐसे में चर्चा इस बात की हो रही है कि अगर ताइवान पर चीन पर हमला करता है, तो इस जंग में जीत किसकी होगी. हथियार और सेना की ताकत की बात करें, तो ताइवान चीन के आगे कहीं भी नहीं टिकता है. चीन की सेना ताइवान की सेना के मुकाबले बहुत ही ज्यादा ताकतवर हैं. ऊपर दिए गए टेबल के जरिए समझा जा सकता है कि चीन ताइवान से कितना आगे है.
हालांकि, ताइवान पर हमला किया जाता है, तो उसकी मदद के लिए अमेरिका जैसे उसके सहयोगी देश आगे आ सकते हैं. ऐसे हालात में चीन के लिए जंग मुश्किल भरी हो सकती है. हो सकता है उसे हार का मुंह देखना पड़े. अमेरिका की सैन्य ताकत चीन से ज्यादा है. यही वजह है कि अगर जंग में ताइवान को अमेरिका का साथ मिलता है, तो उसकी जीत निश्चित है. लेकिन अगर उसे चीन के साथ सीधे तौर पर लड़ना पड़ा, तो बीजिंग से जीत हासिल करना बेहद ही चुनौतीपूर्ण होने वाला है.
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