Taiwan News: ताइवान के पास के इलाको में चीनी युद्धाभ्यास के बीच अमेरिकी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल ताइपे पहुंच गया है. ताइवान के विदेश मंत्रालय के अनुसार अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइपे यात्रा के महज दो हफ्तों के भीतर हो रही है.
यूएस सांसदों के ताइवान पहुंचने पर वहां के नेता युई (Yui) ने उनका स्वागत कर कहा कि हम अपने पुराने मित्र और अटूट समर्थन के लिए समान विचारधारा वाले सांसदों का धन्यवाद देते हैं. अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइपे यात्रा के बाद चीन और अमेरिका के रिश्ते बहुत ही नाजुक मोड़ पर पहुंच चुके हैं. नैंसी पेलोसी की यात्रा को चीन की सरकार ने उकसावे वाला कदम बताते हुए उनकी संप्रभुता का उल्लघंन करार दिया था.
क्या बोला चीन?
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि ताइवान में अमेरिकी स्पीकर की यात्रा एक उकसावे वाला कदम है, जोकि इलाके की शांति व्यवस्था को प्रभावित करेगा. इसके अलावा चीन ने यूएस को चेतावनी भी दी थी कि ताइवान के मामले में उठाया गया कोई भी कदम आग से खेलने जैसा है, "जो कोई भी आग से खेलेगा जल जाएगा".
'शांति के विपरीत है धमकी देना'
चीन की इन धमकियों को धता बताते हुए अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी. आज यानी रविवार को मिली जानकारी के मुताबिक यूएस कांग्रेस सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल थोड़ी देर में विशेष विमान से ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचेगा.
चीन ताइवान के पास के इलाकों में अपनी शक्ति प्रदर्शन के लिए सैन्य युद्धाभ्यास कर रहा है. वहीं व्हाइट हाउस चीन के युद्धाभ्यास पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि नैंसी पेलोसी की ताइपे यात्रा के बाद ताइवान को ‘‘डराने और बल प्रयोग करने’’ की चीन की कार्रवाई मूल रूप से शांति और स्थिरता के लक्ष्य के विपरीत है. अमेरिका ताइवान के समर्थन के लिए ‘‘शांत और दृढ़’’ कदम उठाएगा.
ताइवान मुद्दे पर क्या है भारत का रुख
वहीं भारत ने ताइवान मुद्दे पर तनाव घटाने और इलाके में शांति और स्थिरतास बनाए रखने की अपील की. भारत ने कहा कि हम यथास्थिति को बदलने वाली एकतरफा कार्रवाई करने से दूर रहने और संयम बनाए रखने की गुजारिश करते हैं.
भारत (India) के इस बयान पर धन्यवाद जताते हुए ताइवान (Taiwan) ने कहा कि वह भारत सहित सभी समान विचारधारा वाले देशों के साथ समन्वय बनाए रखते हुए अपनी आत्मरक्षा की क्षमताओं में वृद्धि को जारी रखेगा. जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखा जा सके.
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