Taiwan-China Conflicts : चीन और ताइवान की दुश्मनी जगजाहिर है. जहां एक ओर ताइवान अपने आप एक स्वतंत्र देश मानता है. वहीं, दूसरी ओर चीन उसे अपने क्षेत्र का हिस्सा कहता है और लगातार ताइवान पर नियंत्रण करने की धमकी देता रहता है. ताइवान का कहना है कि चीन उसकी क्षेत्रीय सुरक्षा को कमजोर करने के लिए लगातार कई तरह के हथकंडे अपनाते रहता है. इसमें जासूसी, साइबर अटैक, गलत जानकारी के प्रसार समेत ग्रे जोन टैक्टिक्स शामिल हैं.
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, ताइवान के अंदर चीन के लिए जासूसी करने वाले लोगों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. चीन ताइवान में जासूसी कराने के लिए सेना में रिटायर हो चुके या कार्यरत अधिकारियों को अपना निशाना बनाता है. ऐसे में इन जासूसी से जुड़े सैन्य अधिकारियों के मामले का निपटारा करने के लिए ताइवान फिर से मिलिट्री जजों को बहाल करने की योजना बना रहा है.
ताइवान के राष्ट्रपति ने योजना की जानकारी की साझा
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने गुरुवार (13 मार्च) को राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक के बाद इस बात की घोषणा की. उन्होंने कहा, “ताइवान चीनी जासूसी से संबंधित अपने सैन्य कर्मचारियों की मामलों की सुनवाई के लिए मिलिट्री जजों को फिर से बहाल करने की योजना बना रहा है. मिलिट्री ट्रायल सिस्टम को फिर से बहाल करने के लिए कानून की समीक्षा और आवश्यकता पड़ने पर इसमें संशोधन भी किया जाएगा.”
राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने कहा, “मिलिट्री जज एक बार फिर से फ्रंट लाइन में होंगे.” उन्होंने आगे कहा, “मिलिट्री जज अभियोजन और न्यायिक एजेंसियों के साथ मिलकर देशद्रोह, दुश्मन की मदद करने, क्लासिफाइड जानकारी को लीक करने, काम में लापरवाही करने, अवज्ञा करने और अन्य सैन्य अपराधों से जुड़े सक्रिय सैन्य कर्मियों से जुड़े आपराधिक मामलों की सुनवाई करेंगे.”
ताइवान की खुफिया एजेंसी ने पूर्व में कहा था कि साल 2024 में कुल 64 लोगों को चीनी जासूसी के मामले में सामने आए, 2023 में 48 और 2022 में 10 जारूसी के मामले सामने आए.
2013 में मिलिट्री ट्रायल सिस्टम को किया गया था भंग
उल्लेखनीय है कि जिस मिलिट्री ट्रायल सिस्टम को राष्ट्रपति लाई चिंग-ते देश में फिर से बहाल करने की योजना बना रहे हैं, उसे साल 2013 में भंग कर दिया गया था. मिलिट्री कोर्ट के भंग होने के पीछे एक युवा कॉर्पोरल की मौत को कारण बताया गया.
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